बाइबल की प्रेरणा / Bible ki Prerna/ Inspiration of Bible 02

बाइबल की प्रेरणा क्या है? बाइबल की प्रेरणा के बारे में हम क्या जानते हैं ? क्या बाइबल सच में परमेश्वर का वचन हैं ? हम इस लेख में बाइबल की प्रेरणा के बारे में सब बातों को समझने का प्रयास करेंगे।

बाइबल की प्रेरणा

बाइबल की प्रेरणा का क्या अर्थ है

हिंदी बाइबल में प्रेरणा शब्द यूनानी शब्द से लिया गया है। जिसका अर्थ है परमेश्वर की आत्मा से या परमेश्वर के द्वारा श्वास डालना परमेश्वर ने बाइबल के लेखकों में अपना आत्मा डाला । पवित्र आत्मा ने उन लेखकों को बाइबल लिखने के लिए प्रेरणा दी या अगवाई की।

हम बाइबल की प्रेरणा को कुछ इस तरह से समझ सकते हैं । कि परमेश्वर ने अपने आत्मा को मनुष्य में डाला और आत्मा ने मनुष्य के मन में उन शब्दों को जिन्हें परमेश्वर ने अपने लिए रखा था । लेखकों ने लिखने के लिए उनकी संस्कृति और तरीके के मुताबिक लिख सकें। वे परमेश्वर के विचार या वचन को बिना किसी गलती के लिख सकें या मनुष्य तक परमेश्वर की बात को बिना किसी मनुष्य के हस्तक्षेप के बिना मनुष्य जाति की तक पहुंचा सके।

बाइबल के लेखकों ने उन बातों को भी लिखा जिनको वह खुद नहीं जानते थे । कि इसका क्या अर्थ है या भविष्य में इसका क्या परिणाम होगा लेकिन जब आज हम बाइबल पढ़ते हैं । तो हम उन बातों को समझ पाते हैं इस तरह से पवित्र आत्मा ने बाइबल के लेखकों को प्रेरणा दी कि वह बाइबल को लिख सकें | इसी को बाइबल की प्रेरणा कहा जाता है।

लेकिन परमेश्वर की प्रेरणा का अर्थ यह नहीं है कि वह एक रोबोट के समान लिख रहे थे। परमेश्वर ने उन्हें उनके समझ और उनके संस्कृति के मुताबिक लिखने की आजादी दी थी। लेकिन जो विचार थे वह परमेश्वर के है।

अब चाहे उन्होंने जो बातें लिखें चाहे वे भविष्यवाणियां हो या उस समय हो रहे घटनाएं हो या आने वाले समय में होने वाली घटनाएं हो। वह सब परमेश्वर की प्रेरणा के द्वारा लिखी गई हैं । इसी को बाइबल की प्रेरणा कहते हैं यानी के बाइबल के हर एक वचन परमेश्वर के द्वारा प्रेरित है उसमें मनुष्य का कुछ भी विचार नहीं है।

इसका क्या प्रमाण है कि बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर के द्वारा है?

अब इस बात को कहना की बाइबल स्वंय परमेश्वर की प्रेरणा से होने का दावा करती है इसलिए बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर से है ऐसा कहना पर्याप्त नहीं है क्योंकि यह हमें मजबूत तर्क नहीं देता कि बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर के द्वारा है ।

लेकिन बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर से है यह बात हमें बाइबल बताती है जिससे यह बात दृढ़ हो जाती है की बाइबल में जो कुछ लिखा है वह परमेश्वर से हैं ।

पुराने नियम से दावे की बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर से है।

पुराने नियम में 3800 से ज्यादा वचन हैं। जो इस बात का दावा करते हैं कि पुराने नियम के लिए बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर से है या पुराना नियम परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा गया है ।

बाइबल की पहली 5 किताबें जिन्हें हम पेंटाटूक (Pentateuch) के नाम से भी जानते हैं उसमें 420 बार यह बात कही गई है जिस में इस प्रकार से कहा गया है । कि यहोवा ने मूसा से कहा या इस बात को आप इस तरह भी समझ सकते हैं । कि मूसा उन बातों को इसराइलियों को बता रहा था जो यहोवा ने मूसा को कही थी ( निर्गमन 17:24; 19:6;20:1; 24:4, 7; 35:29)

भजन संहिता 119 में लेखक ने पवित्र शास्त्र को 24 बार यहोवा का वचन कहा है। इसी भजन में 176 आयतों का इस्तेमाल परमेश्वर के वचन के लिए किया गया है ।

पुराने नियम के भविष्यवक्ता भी इस बात का दावा करते हैं । कि उन्होंने जो कुछ कहा या लिखा वह सब कुछ परमेश्वर की प्रेरणा से था । या परमेश्वर ने उन्हें लिखने के लिए प्रेरित किया था यशायाह में 120 बार, यिर्मयाह में 430 बार, यहेजकेल में 329 बार, आमोस में 53 बार, हग्गे में 27 बार, और जकर्याह में 53 बार इस बात का दावा किया गया है कि उन्होंने सब कुछ परमेश्वर की इच्छा या प्रेरणा से लिखा या भविष्यवाणी की है ।

यीशु मसीह ने भी इस बात के विषय में गवाही दी है। कि पुराने नियम में जो कुछ लिखा है । वह परमेश्वर ही के द्वारा लिखा गया है । कि हम इसको इस प्रकार से कह सकते हैं कि पुराने नियम में परमेश्वर ही बात कर रहा था ।

नए नियम में प्रभु यीशु मसीह ने इस बात को कहा है ।परमेश्वर ने कहा था या तुम सुन चुके हो जो इस बात को साबित करता है । कि पुराना नियम परमेश्वर की ओर से है प्रभु यीशु मसीह ने मत्ती 19:4-5 इस बात को बताया परमेश्वर ने शुरुआत में नर और नारी करके बना है ।

जिसको हम उत्पत्ति में पढ़ते हैं जो इस बात को प्रमाणित करता है । यीशु मसीह ने खुद इस बात की गवाही दी है कि पुराना नियम परमेश्वर की प्रेरणा के द्वारा लिखा गया है । इससे हम इस बात पर पहुंचते हैं कि पुराने नियम की बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर के द्वारा है । पुराने नियम का हर एक वचन परमेश्वर की ओर से हैं ।

आरंभिक कलीसिया में जिन्होंने उस समय यीशु मसीह को अपने उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण किया था । उन्होंने भी भजन संहिता 2:1 में दाऊद के द्वारा की गई प्रार्थना को अपने प्रार्थना में बोला है । जिससे हम इस नतीजे पर पहुंचते हैं की आरंभिक कलीसिया में बहुत सारे जो यहूदी समाज से और गैर यहूदी समाज से थे । वह भी इस बात को मानते थे कि पुराना नियम परमेश्वर की प्रेरणा के द्वारा लिखा गया है ।

पौलुस ने भी इस बात को माना है की पुराना नियम परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा गया है और उसने यशायाह 53:5 और भजन संहिता 16:10 का उपयोग किया है ।प्रेरितों के काम 13:30 -35 में पढ़ते हैं पौलुस अपने समय के सबसे पहुंचे हुए गुरु गमालिएल से सीख रहा था तो यह भी हमें बात बताता है कि पुराना नियम में बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर के द्वारा है ।

बाइबल की प्रेरणा

दूसरा तिमोथियस 3:16-17 हमें यह बात बताता है । कि पवित्र शास्त्र जिसका पौलुस ने पुराने नियम के लिए उपयोग किया है परमेश्वर की प्रेरणा से दिया गया है। इसी तरह से पतरस ने भी अपने दूसरा पत्र के पहले अध्याय के 20 – 21 आयात में इस बात को बताया है ।

पुराने नियम में जो कुछ लिखा है वह पवित्र आत्मा के द्वारा परमेश्वर के जनों ने लिखा है । यानी के पवित्र आत्मा ने पुराना नियम लिखने के लिए उन पवित्र जनों को या परमेश्वर के जनों को उभारा और उन्होंने अपनी भाषा और अपनी संस्कृति का इस्तेमाल करते हुए पुराने नियम को लिखा है ।

इन बातों से हम इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि पुराने नियम में बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर के द्वारा हैं।

नए नियम से दावे की बाइबिल के प्रेरणा परमेश्वर से है।

नए नियम के वचन भी चाहे यीशु मसीह और प्रेरित हों या प्रभु के चेले के द्वारा बोले गए हो। उन्हें भी परमेश्वर का वचन कह कर संबोधित किया गया है । नए नियम में जब यीशु मसीह प्रचार करते थे । इस प्रकार से लिखा है भीड़ परमेश्वर का वचन सुनने के लिए उन पर गिरी पढ़ती थी (लुका 5:1) और खुद प्रभु यीशु मसीह ने भी इस बात को कहा है कि उन्होंने जो कुछ कहा वह पिता ने उन्हें बताया है (यूहन्ना 8 :28)

अपनी महायाजकिय के प्रार्थना में जिसे आप यूहन्ना में 1 7:18 -14 में पढ़ते हैं । वहां पर यीशु मसीह ने कहा की जो बातें तूने मुझे दी थी मैंने उन तक पहुंचा दी और उन्होंने उसे ग्रहण की कर लिया और मैंने तेरा वचन उन्हें पहुंचा दिया है ।

नए नियम में जब प्रभु यीशु मसीह ने अपनी कलीसिया बनाने की प्रतिज्ञा की थी। इसी के साथ प्रभु ने पवित्र आत्मा देने का वायदा किया था । प्रभु ने इसमें कहा था कि वह मेरी गवाही देगा और तुम मेरे गवाह हो इसी के साथ प्रभु ने कहा कि सत्य का आत्मा आएगा । तो तुम्हें सब सत्य का मार्ग बताएगा । क्योंकि वह अपनी ओर से ना कहेगा परंतु जो कुछ सुनेगा वही कहेगा । आने वाली बातें तुम्हें बताएगा । इन प्रतिज्ञाओं में पांच बातें है।

रेन पेच ने ध्यान दिलाया कि में नए नियम के प्रत्येक भाग के परमेश्वर की प्रेरणा से होने की बात जाहिर है । पहली बात सुसमाचार के पुस्तकों में पवित्र आत्मा तुम्हें जो कुछ मैंने तुमसे कहा है वह तुम्हें याद दिलाएगा । प्रेरितों के काम में वह मेरी गवाही देगा और तुम मेरे गवाह हो। पत्रियों में सत्य का आत्मा मेरी महिमा करेगा। और प्रकाशित वाक्य में आने वाली बातें तुम्हें बताएगा ।

प्रभु यीशु मसीह ने पवित्र आत्मा के बारे में जो बातें बताएं वह सब के सब नए नियम का परमेश्वर से प्रेरित होने का प्रमाण है या बाइबल का नया नियम पवित्र आत्मा की प्रेरणा से है इस बात की गवाही या प्रमाण देते हैं ।

बाइबल की प्रेरणा

हम पौलुस के द्वारा भी इस बात को देख सकते हैं कि नया नियम परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा गया है । हम पौलुस की पत्रियों को पढ़ते हैं तो वह भी इस बात को कहता है कि “…..क्योंकि बात मुझे प्रभु से पहुंची है…..’; “…..परमेश्वर का वचन समझकर ग्रहण किया…..”; “…. क्योंकि हम प्रभु के वचन के अनुसार तुमसे कहते हैं….”

इब्रानियो की पत्री में संपूर्ण नए नियम को परमेश्वर का वचन घोषित किया गया है इब्रानियो की पत्री 1 :1-2

इसके कुछ और प्रमाण की बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर की ओर से है

हम इस बात को देख चुके हैं कि नया नियम और पुराना नियम दोनों ही परमेश्वर के प्रेरणा से लिखे गए हैं । यानी कि बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर से है । लेकिन इसके अतिरिक्त कुछ और ऐसे तर्क हैं । जो हमें इस बात पर विचार करने के लिए विवश कर देते हैं की बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर की ओर से है।

बाइबल का अनुवाद, बाइबल का वितरण, और बाइबल का बना रहेगा

बाइबल का अनुवाद, बाइबल का वितरण और बाइबल का अब तक बना रहना है । इस बात का समर्थन करता है उसकी बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर की ओर से है। मूसा के समय से लेकर अब तक बाइबल हर प्रकार की सड़न, लापरवाही से बच रही है । जो कि सच में एक आश्चर्यजनक कार्य है । बाइबल की तरह ही और भी बहुत सारी किताबें लिखी गई । लेकिन आज उनकी कुछ अवशेष है और उन पर भी संदेह है कि वह सच में सही है या नहीं और कुछ तो सच में विलुप्त हो चुकी है ।

लेकिन बाइबल के विषय में एक सबसे बड़ी खूबी यह है । कि बाइबल ही इकलौती किताब है जिसने बहुत बड़ा सताव और बहुत सारी आलोचना झेली है । रोमी सम्राटों के दिनों से लेकर कम्युनिस्ट के दिनों तक बाइबल को नष्ट करने का पूरा पूरा प्रयत्न किया गया । बाइबिल पर आक्रमण किया गया । इसे प्रतिबंधित किया गया और बाइबल को जलाया तक गया था लेकिन इतना सब होने के बावजूद भी आज बाइबल हमारे हाथों में ठीक वैसी ही है जैसी मूसा के दिनों में थी ।

सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि बाइबल के विरोध में भी इतनी सारी किताबें लिखी गई है और बाइबिल की सच्चाईयों को दबाने के लिए बहुत प्रयास किया गया । परंतु उन सब के बावजूद भी बाइबल आज तक बनी हुई है । बाइबल की सच्चाई अभी भी उसी तरह से हैं जैसे वह पुराने समय में थी । यह एक और तथ्य है जो हमें इस बात की ओर ले जाता है।

कि बाइबल परमेश्वर की ओर से है । इसीलिए मनुष्य की कोई भी सामर्थ बाइबल को नष्ट नही कर पाई है । ना ही इसमें किसी प्रकार की मिलावट कर पाई हैं जितना बाइबल को नष्ट करने का प्रयास किया गया उतने ही ज्यादा बाइबिल लोकप्रिय होती गई और लोगों के जीवन को प्रभावित करती गई है

बाइबल की एकता और निरंतरता बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर द्वारा है प्रमाणित करती है

यह जानने के लिए कि फल स्वादिष्ट है या नहीं, उसका एक ही तरीका है कि फल को खाया जाए । उसी तरह से बाइबल परमेश्वर का वचन है या नहीं इसको जानने का एक ही तरीका है कि इसको पढ़ा जाए । जब कोई व्यक्ति इसको पढ़ता हैं। तो पहचान जाता है कि बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर की ओर से है कि बाइबल का रचयिता परमेश्वर है

पवित्र बाइबल एक बहुत ही बड़ा आश्चर्य कर्म है बाइबिल के लेखों की एकता यानी के बाइबल में जो कुछ लिखा है वह सब एक ही व्यक्ति की ओर संकेत करता है जो है यीशु मसीह । हम पहले देख चुके हैं बाइबल क्या है बाइबल को 40 लेखकों ने तीन अलग-अलग महाद्वीपों पर 1500 सालों में लिखा गया है। इसमें किसी भी प्रकार का कोई भी विरोधाभास नहीं है इसलिए ये बात हमें इस ओर ले जाती है कि कोई ऐसी ईश्वर है ताकत ही है जो 40 लोगों के मन को एक ऐसी किताब लिखने के लिए प्रेरित करें ।

जिसमें किसी प्रकार की त्रुटि ना हो और बिना ईश्वरी ताकत के ऐसा कर पाना भी असंभव है । जैसा हम पहले ही इस बात को बता चुके है कि पवित्र आत्मा बाइबल के लेखकों को नियंत्रित करता था और जो परमेश्वर की इच्छा से लिखा हैं। तो हमें फिर से इस बात पर पहुंचे हैं की बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर की ओर से है और यह पूरी तरह से परमेश्वर का वचन है

निष्कर्ष

तो अंत में हम इस बात पर पहुंचते हैं कि बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर की ओर से है बाइबल परमेश्वर की स्वास के द्वारा लिखी गई है । और बाइबिल खुद इस बात की पुष्टि करती है। बाइबल का नया नियम और पुराना नियम दोनों ही परमेश्वर की प्रेरणा से लिखा गया है । तो हम इस बात पर विश्वास कर सकते हैं । कि बाइबल की प्रेरणा परमेश्वर की ओर से है जो हमें हमारे आत्मिक जीवन के लिए, कलीसिया में अनुशासन के लिए, और परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला जीवन जीने के लिए मार्गदर्शन कर सकती है और करती भी हैं

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top