बाइबल में त्रिएकत्व का शिक्षण Biblical Foundation of Triune God Part-2

बाइबल में त्रिएकत्व का शिक्षण

हालांकि “त्रिएकत्व” शब्द बाइबल में नहीं पाया जाता, इसका विचार पुराने और नए नियम में गहराई से निहित है। यह सिद्धांत बाइबल के समग्र अध्ययन से उत्पन्न होता है, जहाँ परमेश्वर की एकता और पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा के बीच भिन्नता प्रकट होती है।

त्रिएकत्व Triune का सिद्धांत बाइबल में किसी एकल पद में स्पष्ट रूप से उल्लिखित नहीं है। यह पुराने और नए नियम के समग्र अध्ययन से प्राप्त होता है। बाइबल परमेश्वर की एकता और पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा के बीच भिन्नता को स्पष्ट रूप से दिखाती है।

त्रिएकत्व Doctrine of Trinity in Bible

1. पुराने नियम में एकेश्वरवाद:

त्रिएकत्व Triune को बाइबल के एकेश्वरवाद के आलोक में समझना चाहिए।

  • व्यवस्थाविवरण 6:4 (शेमा): “हे इस्राएल, सुन! हमारा परमेश्वर यहोवा एक ही यहोवा है।” यह इस्राएल के विश्वास की केंद्रीय घोषणा है।
  • यशायाह 44:6 “इस्राएल का राजा और उसका छुड़ानेवाला यहोवा, सेनाओं का परमेश्वर यों कहता है: ‘मैं प्रथम हूं  और मैं अंतिम हूं, और मुझको छोड़ दूसरा कोई परमेश्वर नहीं।’”
  • यशायाह 45:5-6: “मैं यहोवा हूं और मेरे सिवाय और कोई नहीं। मेरे सिवाय कोई परमेश्वर नहीं।

यह दृढ़ एकेश्वरवाद त्रिएकत्व परमेश्वर के प्रकटीकरण का आधार है।

पुराने नियम में परमेश्वर की प्रकृति में बहुलता के संकेत

हालांकि पुराना नियम परमेश्वर की एकता को स्पष्ट रूप से स्थापित करता है, कुछ पद ऐसे हैं जो परमेश्वर की प्रकृति में बहुलता का संकेत देते हैं। यह बहुलता त्रिएकत्व के सिद्धांत में बाद में अधिक स्पष्ट रूप से प्रकट होती है।

1. उत्पत्ति 1:26: “तब परमेश्वर ने कहा, ‘आओ, हम मनुष्य को अपने स्वरूप में, अपनी समानता के अनुसार बनाएं…’

  • सृष्टि के वर्णन में “हम” और “हमारे” जैसे बहुवचन सर्वनामों का प्रयोग विद्वानों को सदियों से चौंकाता आया है। यह एक दिव्य बहुलता का सुझाव देता है, हालांकि यह स्पष्ट रूप से त्रिएकत्व को नहीं दर्शाता।
  • प्रारंभिक चर्च के पिताओं जैसे जस्टिन मार्टर और टर्टुलियन ने इसे त्रिएकत्व के तीन व्यक्तियों (पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा) के एक साथ सृष्टि में कार्य करने के संकेत के रूप में देखा।

2. उत्पत्ति 18:1-3: अब्राहम के पास तीन व्यक्तियों के आने की घटना (जिन्हें वह बाद में “प्रभु” कहकर संबोधित करता है) में भी परमेश्वर की बहुलता का संकेत देखा गया है।

  • यद्यपि इस पाठ में इन व्यक्तियों को स्पष्ट रूप से पिता, पुत्र और पवित्र आत्मा के रूप में नहीं पहचाना गया है, कुछ विद्वानों ने इसे त्रिएकत्व की ओर संकेत करने वाली घटना (थियोफनी) के रूप में समझा है
  • मसीही व्याख्या में, इसे परमेश्वर की एक दृश्यमान अभिव्यक्ति के रूप में देखा जाता है, जो नए नियम में त्रिएकत्व की स्पष्ट शिक्षा की ओर संकेत करती है।

3. यशायाह 6:8: “तब मैंने प्रभु का यह शब्द सुना, ‘मैं किसे भेजूं? और हमारी ओर से कौन जाएगा?’”

  • भविष्यद्वक्ता यशायाह की दर्शन में, “हमारी” जैसे बहुवचन शब्दों का उपयोग परमेश्वर की बहु-व्यक्तिगत प्रकृति का संकेत देता है।
  • प्रारंभिक मसीही धर्मशास्त्रियों ने इसे त्रिएक परमेश्वर के संकेत के रूप में देखा।

नए नियम में त्रिएकत्व के तीन व्यक्तियों का प्रकटीकरण

नया नियम त्रिएकत्व परमेश्वर—परमेश्वर पिता, परमेश्वर पुत्र, और परमेश्वर पवित्र आत्मा—के भिन्न व्यक्तित्वों को अधिक स्पष्ट रूप से प्रकट करता है। पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा के बीच का संबंध मसीही शिक्षाओं का केंद्रीय बिंदु है। नए नियम के कई प्रमुख पद त्रिएक परमेश्वर को समझने की नींव रखते हैं।

A. पिता (God the Father)

  • यूहन्ना 6:27: “ऐसा भोजन न मांगो जो नष्ट हो जाता है, परंतु ऐसा भोजन मांगो जो अनंत जीवन तक बना रहता है, जिसे मनुष्य का पुत्र तुम्हें देगा। क्योंकि पिता परमेश्वर ने उस पर अपनी मुहर लगा दी है।”
  • यीशु बार-बार परमेश्वर को अपना पिता कहते हैं, और इस पद में पिता को पुत्र से भिन्न के रूप में प्रस्तुत किया गया है। सृष्टि और उद्धार के स्रोत के रूप में पिता की भूमिका त्रिएकत्व की शिक्षा में मूलभूत है।
  • यूहन्ना 17:1-3: “यीशु ने स्वर्ग की ओर दृष्टि करके कहा, ‘पिता, वह समय आ गया है। अपने पुत्र की महिमा कर, ताकि पुत्र तेरी महिमा करे। क्योंकि तूने उसे सभी लोगों पर अधिकार दिया है कि वह उन सबको अनंत जीवन दे, जिन्हें तूने उसे दिया है। अनंत जीवन यह है कि वे तुझे, एकमात्र सच्चे परमेश्वर को और यीशु मसीह को जिसे तूने भेजा है, जानें।’”

यह पद पिता को अनंत जीवन के स्रोत के रूप में दिखाता है और पिता और पुत्र के बीच के अंतर को रेखांकित करता है, जो त्रिएकत्व Triune परमेश्वर को समझने के लिए आवश्यक है

B. पुत्र (यीशु मसीह, God the Son)

  1. यूहन्ना 1:1-3, 14: “आदि में वचन था, और वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था। वह आदि में परमेश्वर के साथ था। उसके द्वारा सब कुछ बनाया गया, और उसके बिना कुछ भी नहीं बना, जो बना। वचन देहधारी हुआ और हमारे बीच में वास किया।”
  • यह पद यीशु मसीह (वचन/लोगोस) की दिव्यता को स्पष्ट रूप से प्रमाणित करता है। यीशु पिता से भिन्न हैं, लेकिन वे पूर्ण रूप से ईश्वर हैं।
  1. मत्ती 28:19: “इसलिए जाओ और सभी जातियों को चेला बनाओ, उन्हें पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो।”
  • यह पद त्रिएकत्व Triune परमेश्वर के तीन व्यक्तियों—पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा—को समान महत्ता के साथ प्रस्तुत करता है। “नाम” (एकवचन) का उपयोग तीन व्यक्तियों की एकता को दर्शाता है।
  1. यूहन्ना 10:30: “मैं और पिता एक हैं।”
  • यीशु का यह कथन पिता के साथ उनकी एकता को दर्शाता है। ग्रीक शब्द “हेन” (एक) का प्रयोग परमेश्वर के स्वभाव और प्रकृति की एकता पर जोर देता है।

C. पवित्र आत्मा (God the Holy Spirit)

  1. यूहन्ना 14:16-17: “और मैं पिता से विनती करूंगा, और वह तुम्हें एक और सहायक देगा, जो हमेशा तुम्हारे साथ रहेगा—सत्य का आत्मा। संसार उसे स्वीकार नहीं कर सकता, क्योंकि वह उसे देखता या जानता नहीं। परंतु तुम उसे जानते हो, क्योंकि वह तुम्हारे साथ रहता है और तुम में होगा।”
  • पवित्र आत्मा पिता और पुत्र दोनों से भिन्न हैं। यीशु ने वादा किया कि आत्मा उनकी सेवा को पृथ्वी पर उनके आरोहण के बाद भी जारी रखेगा।
  1. प्रेरितों के काम 5:3-4: “तब पतरस ने कहा, ‘हे हनन्याह, शैतान ने तेरा हृदय क्यों भर दिया है कि तू पवित्र आत्मा से झूठ बोले और भूमि का कुछ मूल्य छिपा रखे? तू मनुष्यों से नहीं बल्कि परमेश्वर से झूठ बोला है।’”
  • इस पद में, पतरस पवित्र आत्मा के साथ झूठ बोलने को परमेश्वर के साथ झूठ बोलने के समान बताता है, जो पवित्र आत्मा की दिव्यता को प्रमाणित करता है।

3. 1 कुरिन्थियों 12:4-6: “वरदान तो अलग-अलग हैं, परंतु आत्मा एक ही है। सेवा करने के प्रकार भी अलग-अलग हैं, परंतु प्रभु एक ही है। कार्य भी अलग-अलग प्रकार के हैं, परंतु सब कुछ करने वाला परमेश्वर एक ही है।”

  • यह पद दिखाता है कि आत्मा, पुत्र (प्रभु), और पिता (परमेश्वर) एक साथ कार्य करते हैं। इससे उनकी एकता और उद्धार में त्रिएकत्व Triune परमेश्वर विशिष्ट भूमिकाएं उजागर होती हैं।

त्रिएकत्व Triune का बाइबलीय आधार: ( यहां पर हम शब्दों पर ध्यान देंगे)

त्रिएकत्व Doctrine of Trinity in Bible

त्रिएकत्व Triune का सिद्धांत—एक परमेश्वर तीन व्यक्तियों (पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा) में विभाजित—शास्त्रों पर आधारित है और यह ईश-तत्वज्ञान (theology) के माध्यम से विकसित हुआ है। नीचे इसका गहराई से अध्ययन किया गया है, जिसमें इब्रानी, अरामी, और ग्रीक मूल, यहूदी समझ, और प्रेरितों की त्रिएककी व्याख्या पर प्रकाश डाला गया है।

1. इब्रानी शास्त्र (पुराना नियम) और त्रिएकत्व Triune

मुख्य इब्रानी शब्द और अवधारणाएं:

एलोहिम (אֱלֹהִים):

  • “एल” (ईश्वर) का बहुवचन रूप, जो पुराने नियम में बार-बार उपयोग हुआ है (उदा., उत्पत्ति 1:1, “आदि में परमेश्वर [एलोहिम] ने आकाश और पृथ्वी की रचना की”)।
  • यहूदी परंपरा में इसे “महानता का बहुवचन” कहा जाता है, परंतु मसीही धर्मशास्त्री इसे परमेश्वर की एकता के भीतर बहुलता का संकेत मानते हैं।
  • उदाहरण: उत्पत्ति 1:26 में लिखा है, “आओ, हम मनुष्य को अपने स्वरूप में बनाएं,” जिसमें बहुवचन सर्वनाम का उपयोग परमेश्वर के भीतर संवाद को दर्शाता है।

यहोवा (יהוה):

  • इसे “टेट्राग्रामेटन” कहा जाता है, जो परमेश्वर की स्व-विद्यमानता और शाश्वत प्रकृति को प्रकट करता है (निर्गमन 3:14, “मैं जो हूं वही हूं”)।
  • उदाहरण: उत्पत्ति 18 में यहोवा अब्राहम के पास दो अन्य के साथ प्रकट होते हैं। कई मसीही विद्वान इसे मसीह के अवतार और त्रिएकत्व Triune की अभिव्यक्ति मानते हैं।

रूआख एलोहिम (ר֣וּחַ אֱלֹהִים):

  • “परमेश्वर की आत्मा” उत्पत्ति 1:2 में उल्लिखित है, “परमेश्वर की आत्मा जल के ऊपर मंडरा रही थी,” जो सृष्टि में आत्मा की सक्रिय भूमिका और ईश्वरीय उपस्थिति को दर्शाता है।

यहूदी समझ:

त्रिएकत्व Doctrine of Trinity in Bible

शेमा (व्यवस्थाविवरण 6:4): “हे इस्राएल, सुन, हमारा परमेश्वर यहोवा एक है।”

  • यहाँ “एक” के लिए प्रयुक्त शब्द “एखाद” (אֶחָד) एक संयुक्त एकता का संकेत दे सकता है (जैसे “अंगूर का एक गुच्छा,” गिनती 13:23)। यहूदी परंपरा इसे परमेश्वर की अविभाज्य एकता के रूप में व्याख्या करती है।

मसीही भविष्यवाणियां: जैसे यशायाह 9:6 (“हमारे लिए एक बालक उत्पन्न हुआ… और वह शक्तिमान ईश्वर कहलाएगा”) और भजन संहिता 110:1 (“यहोवा मेरे प्रभु से कहता है”) मसीह के ईश्वरीय स्वरूप को दर्शाते हैं।

2. यीशु के समय का अरामी आधार

मुख्य अरामी शब्द:

अब्बा (אבא):

  • “पिता” के लिए अरामी शब्द, जिसका उपयोग येशु ने मरकुस 14:36 में किया और पॉल ने भी (रोमियों 8:15, गलातियों 4:6)।यह परमेश्वर को पिता के रूप में एक निकट और संबंधपरक दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है।

रुखा द’कुद्शा (רוחא דקודשא):

  • “पवित्र आत्मा” के लिए अरामी शब्द। आत्मा की पवित्र और समर्थकारी उपस्थिति पुराने और नए नियम दोनों में केंद्रीय है।

अरामी संदर्भ में येशु और आत्मा की भूमिका:

येशु का “अब्बा” का उपयोग:

  • येशु ने परमेश्वर को “पिता” कहकर यहूदी संस्कृति में ईश्वर को एक व्यक्तिगत और संबंधपरक रूप में प्रस्तुत किया।

आत्मा की भूमिका:

  • येशु ने पवित्र आत्मा को सहायक और वकील (यूहन्ना 14:26) बताया। यह यहूदी समझ के साथ जुड़ता है, लेकिन आत्मा को एक व्यक्तिगत आयाम देता है।

3. ग्रीक नया नियम और त्रित्वीय धर्मशास्त्र

मुख्य ग्रीक शब्द:

थेओस (Θεός)=“परमेश्वर” के लिए शब्द, जो मुख्य रूप से पिता के लिए प्रयुक्त होता है।

क्यूरिओस (Κύριος): “प्रभु” के रूप में अनुवादित, यह पुराने नियम में यहोवा और नए नियम में येशु के लिए प्रयुक्त होता है।

  • उदाहरण: फिलिप्पियों 2:11 (“हर जीभ यह मानेगी कि येशु मसीह प्रभु हैं”)।

प्न्यूमा हागियन (Πνεῦμα Ἅγιον): “पवित्र आत्मा,” जो प्रेरणा, मार्गदर्शन, और शुद्धिकरण में आत्मा की भूमिका को दर्शाता है।

प्रेरितों की त्रित्वीय अभिव्यक्तियां:

  1. बपतिस्मा सूत्र (मत्ती 28:19): “उन्हें पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो।” यहाँ “नाम” (बहुवचन नहीं) त्रिएक की एकता को दर्शाता है।
  2. पॉल का आशीर्वाद (2 कुरिन्थियों 13:14): “प्रभु येशु मसीह का अनुग्रह, परमेश्वर का प्रेम, और पवित्र आत्मा की संगति तुम्हारे साथ हो।”
  3. येशु का ईश्वरत्व: यूहन्ना 1:1 (“आदि में वचन था, वचन परमेश्वर के साथ था, और वचन परमेश्वर था”)। कुलुस्सियों 2:9: “क्योंकि मसीह में ईश्वरत्व की पूर्णता शरीर में वास करती है।”
  4. पवित्र आत्मा का ईश्वरत्व: प्रेरितों के काम 5:3-4 आत्मा से झूठ बोलने को परमेश्वर से झूठ बोलने के बराबर ठहराता है।

4. प्रेरितों और आरंभिक मसीहियों की त्रित्वीय समझ

प्रेरितों का विकास: प्रेरित, जो यहूदी एकेश्वरवाद में निहित थे, येशु को उनके कार्यों, शिक्षाओं, और पुनरुत्थान के आधार पर ईश्वर के रूप में मान्यता देते थे (यूहन्ना 20:28)। पेंटेकोस्ट पर आत्मा की भूमिका (प्रेरितों के काम 2) आत्मा को परमेश्वर के रूप में समझने का मार्ग प्रशस्त करती है।

प्रारंभिक कलीसिया के धर्मशास्त्री: (नोट: इस पर हम अगले लेख में अध्ययन करेंगे)

टर्टुलियन और एथेनासियस जैसे धर्मशास्त्रियों के लेखन ने त्रिएकको स्पष्ट किया।

निष्कर्ष: बाइबल में त्रिएक परमेश्वर का प्रकटीकरण

बाइबल, जो परमेश्वर की एकता (एकेश्वरवाद) को दृढ़ता से स्थापित करती है, साथ ही पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा को भिन्न व्यक्तियों के रूप में प्रस्तुत करती है, जो एक ही दिव्य स्वभाव साझा करते हैं। 

  • पुराना नियम: उत्पत्ति 1:26, उत्पत्ति 18:1-3, और यशायाह 6:8 जैसे पद परमेश्वर की बहुलता के संकेत देते हैं।
  • नया नियम: यूहन्ना 1:1-3, मत्ती 28:19, और यूहन्ना 14:16-17 जैसे पद त्रिएक परमेश्वर के व्यक्तियों के बीच संबंधों को स्पष्ट रूप से प्रकट करते हैं।

अध्ययन के लिए संसाधन:

 पुस्तकें:

  • The Forgotten Trinity (James R. White)
  • Systematic Theology (Wayne Grudem)

ऑनलाइन सामग्री: GotQuestions.org: “The Trinity in the Bible

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