पवित्र आत्मा का फल: भलाई 06
आप ने अभी तक पवित्र आत्मा के फल के बारे में बहुत कुछ जान चुके हैं। इस लेख में भी हम उन ही बातों को आगे बढ़ते हुए समझने का प्रयास करेंगे।पिछले लेख में आप पवित्र आत्मा के फल कृपा के बारे में जान चुके हैं। इस लेख में आप पवित्र आत्मा का फल भलाई के विषय में परमेश्वर के वचन से सीखेंगे। पवित्र आत्मा का फल भलाई एक बहुत ही गहरा नैतिक गुण है|

यह वह भलाई नहीं है, जो आप सोच रहे हैं| किसी की मदद करना या फिर किसी को कोई परेशानी है तो उस पर दया करके उसकी मदद करना | पवित्र आत्मा का फल भलाई उस भलाई के बारे में नहीं है| पवित्र आत्मा का फल भलाई इन सब से बिल्कुल ही परे हैं।
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पवित्र आत्मा का फल भलाई:अर्थ
पवित्र आत्मा का फल भलाई के बारे में जानने से पहले, भलाई के बारे में जानना जरूरी है | यहां यूनानी भाषा में पवित्र आत्मा का फल भलाई के लिए जो शब्द इस्तेमाल किया गया है वह है agathōsunē। इस शब्द को 2 शब्दों को एक साथ जोड़कर बनाया गया है| क्योंकि यूनानी भाषा में ऐसा कोई भी शब्द नहीं है| जो इस प्रकार की पवित्र आत्मा का फल भलाई को बयान कर सकें|
यह शब्द उस तरह की भलाई को बखान करने के लिए बताया गया है जो इस संसार के किसी भी अनुभव से बहुत गहरा है।पवित्र आत्मा का फल भलाई को हम बाइबल में धार्मिकता के साथ जुड़ा हुआ देखते हैं| जितना सीधा हमें भलाई शब्द दिखाई देता है उतना है नहीं | जितना आसान हमें भलाई करना लगता है परन्तु भलाई करना उतना आसान नहीं है।
परमेश्वर वचन में हम इसको इस भलाई के बारी बहुत ही अच्छे से समझता है| इफिसियों 5:9 परन्तु रोशनी का फल {रोशनी की जगह पर कई लेखों में रोशनी की जगह पर आत्मा} का इस्तेमाल किया गया। सब प्रकार की भलाई और धार्मिकता और सत्य है। यहां पर आप पढ़ सकते हैं| कि भलाई और धार्मिकता आपस में बहुत ही नजदीकी के साथ जुड़े हुए हैं।
दूसरे शब्दों में अगर कहा जाए कि आप धर्मी हैं तो आपका मापदंड (जीवन के मौलिक नियम भी) भी धार्मिकता वाला होगा। और आपकी आस्था (विश्वास) भी धार्मिकता वाली होगी| इस तरह से आप जान पाते हैं | कि सही मापदंड क्या है ? या सही क्या है ? और फिर आप दूसरे लोगों से उसी तरह के करने की उम्मीद करते हैं | कि वह भी उसी मानक या मापदंड के अनुसार करें जो सही है|
इस अब इस धार्मिकता के पीछे भलाई है | यह कैसे है इसको हम अभी समझने की कोशिश करते हैं | पौलुस कहता है, कि तुम आप भी भलाई से भरे और ईश्वरीय ज्ञान से भरपूर हो जाओ । रोम शहर के विश्वासियों को प्रेरित पौलुस कहता है, कि आप भलाई से भरे हुए हैं | उनके पास कुछ भलाई कि कुछ हिस्सा नहीं हैं बल्कि वे भलाई से भरपूर है|
रोम के विश्वासी इस तरह की भलाई से कैसे भरपूर हो रहें हैं| इसी आयात का दूसरा भाग आपको उसका भेद बताता हैं क्योंकि वे ईश्वरीय ज्ञान से भरपूर हैं| ज्ञान का अर्थ “ उसके विषय में जिसका अस्तित्व है एक बहुत ही साफ और सटीक धारणा” इसको हम ज्ञान कहते हैं| जितना सटीक और साफ परमेश्वर के बारे में आपको ज्ञान होगा | उतनी ही ज्यादा भलाई आप में होगी|
जब आप परमेश्वर के वचन को अच्छे से जानेंगे| उतना ही आप के जीवन का मापदंड भी धार्मिकता वाले होंगे | और आपका विश्वास परमेश्वर पर और अधिक दृढ़ होगा | जो आप में नम्र स्वभाव को पैदा करेगा और पवित्र आत्मा का फल भलाई से भरपूर व्यक्ति बनेगे ।

एक बात और जो आपको पता होनी चाहिए कि परमेश्वर से ऊंचा किसी के भी जीवन का मापदंड नहीं है क्योंकि परमेश्वर से ऊपर कोई भी धर्मी नहीं है| इसीलिए परमेश्वर की भलाई हर व्यक्ति की भलाई से ऊपर है| इसलिए भजनकार भजन २३ में कहता है कि भलाई और करुणा जीवन भर मेरे साथ-साथ बनी रहेगी। भजन 27 में कहता है यदि मुझे विश्वास ना होता कि मैं जीवितों की पृथ्वी पर यहोवा की भलाई को देख लूंगा, तो मैं मूर्छित हो जाता।
परमेश्वर दोनों ही है। वह धर्मी भी है और भला भी है। यह वह भलाई है जो दयालुता को सहन करती है| परमेश्वर दयालु है वह दंड नहीं देता इसके पीछे परमेश्वर की भलाई है | उसके पीछे परमेश्वर धर्मी है | परमेश्वर भलाई करते है इसलिए वह धर्मी नहीं है बल्कि वह धर्मी है इसलिए परमेश्वर भलाई करता है।
मत्ती 1:19 मरियम का पति यूसुफ जो धर्मी था | वह मरियम को बदनाम करना नहीं चाहता था | यहां पर हमारे पास यूसुफ का एक उदाहरण है | युसूफ धर्मी था इसलिए उसके नियम भी धार्मिकता वाले थे | जब मरियम गर्भवती थी तब उसने (यूसुफ) उसे चुपके से त्याग देने का विचार किया। यह वह भलाई है जो यूसुफ करना चाहता था ।
अगर यूसुफ चाहता तो व्यवस्था के मुताबिक मरियम को पत्थरवाह करके मार सकता था; या फिर उसको खुले तौर पर शर्मिंदा कर सकता था । परंतु उसने चुना कि वह मंगनी को चुपचाप तोड़ देगा । उसने ऐसा क्यों किया क्योंकि वह धर्मी था उसकी उस धार्मिकता ने उसे वह भलाई करने के लिए उकसाया । उसने भलाई की दृष्टि से सोचा, ना कि उसने बुराई के तरीके से ।
इसीलिए पवित्र आत्मा का फल भलाई और धार्मिकता एक दूसरे के साथ जुड़े हुए हैं । यीशु मसीह के जीवन से भी एक उदाहरण को आप देख सकते हैं।
यूहन्ना 7:12 वह भला मनुष्य है । यहां पर यीशु मसीह के बारे में लिखा है । यीशु मसीह ने यहूदियों के मंदिर को साफ किया था। उनके धर्म गुरु के बारे में कितना कुछ मसीह ने कहा । परंतु इसके बाद भी लोगों ने कहा कि वह एक भला मनुष्य है।
क्योंकि यीशु मसीह धर्मी था और उसने जो कुछ भी किया । वह उनकी भलाई के लिए किया । यहां पर भी आप इस बात को समझ सकते हैं, कि धार्मिकता और भलाई एक साथ है यदि आप धर्मी हैं तो आप भलाई अवश्य करेंगे
यशायाह नबी भविष्यवाणी की थी। जो यीशु मसीह के बारे में एक भविष्यवाणी थी। जिसे आप में पूरा होते हुए देखते हैं। वह कहते हैं की वह कुचले हुए सरकंडे को ना तोड़ेगा। यहां पर इस बात को समझना है कुचले हुए सरकंडे को ना तोड़ेगा इससे क्या अर्थ है ।
यीशु मसीह के समय में या पुराने समय में सरकंडे से लोग बांसुरिया बनाते थे। जो चरवाहे होते थे अपनी भेड़ों को बुलाने के लिए या बस टाइम पास के लिए बांसुरिया बनाते थे । यह बांसुरी सरकंडे की बनी थी और जब इसको जब बजाया जाता था तो कुछ समय बाद मुंह की लार से यह खराब हो जाती थी । उसके बाद ये छोटी सी बांसुरी किसी भी काम की नहीं थी। तो इसे लोग तोड़ कर फेंक देते थे ।
इसी बात को ऐसा कहता है कि वह इस तरह से कुचले हुए सरकंडे को भी नहीं तोड़ेगा। क्योंकि वह धर्मी है। और यह उसकी भलाई है। धार्मिकता के साथ हमेशा भलाई आती है। और दृढ़ विश्वास में नम्रता होती है। यह है पवित्र आत्मा का फल भलाई जिसके विषय में पौलुस कहता है और ये पवित्र आत्मा का फल भलाई हर एक उद्धार पाए हुए विश्वाशी में होना चाहिए।
पवित्र आत्मा का फल भलाई: आज्ञा
अभी आपने सीखा कि पवित्र आत्मा का फल भलाई क्या है। अभी परमेश्वर का वचन हम इस तरह की भलाई को करने की आज्ञा देता है। गलातियों 6:10 यहा पर प्रेरित पौलुस कहता है कि जहां तक अवसर मिले; सब के साथ भलाई करो। मुख्य तौर विश्वासी भाइयों के साथ तो आपको सबके साथ भलाई करनी है। कुछ लोगों के साथ नहीं। बल्कि सबके साथ इसमें कोई भी शक नहीं है; क्योंकि हम में से कोई भी धर्मी नहीं है। हम सब के सब भटके हुए थे।
परंतु जब आप ने मसीह यीशु पर विश्वास किया। उसे अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार किया। परमेश्वर ने हमें उसी क्षण में उन सभी को जिन्होंने उसे ग्रहण किया धर्मी ठहरा दिया। तो हमारी दूसरों के साथ भलाई या पवित्र आत्मा का फल भलाई इस बात का प्रमाण है कि हम धर्मी ठहराए जा चुके हैं।

1थिस्स 5:15 सदा भलाई करने पर तत्पर रहो । यहां पर प्रेरित पौलुस कहता है कि अगर कोई आपसे गलत काम भी करता है तो उसे गलत बदला मत दो। परंतु उसके बदले में उससे भलाई करें और आपस में भी और सब के साथ भी भलाई ही करने का मन रखो ।
क्योंकि हम सब धर्मी है। हमारे सब पाप क्षमा किए जा चुके हैं। हमें परमेश्वर का आत्मा दिया गया है । इस प्रकार की भलाई हम अपने आप से नहीं कर सकते, पवित्र आत्मा का फल भलाई पवित्र आत्मा के द्वारा ही हम कर सकते हैं। क्योंकि हम में कोई भी भलाई वास नहीं करती है। इसलिए यह आज्ञा हमें दी गई है कि हम सबके साथ भलाई वाला मन रखें।
पवित्र आत्मा का फल भलाई : स्रोत
2 थिस्स 1:11-12 प्रेरित पौलुस प्रार्थना करता है। कि परमेश्वर तुम्हें इस बुलाहट की (उद्धार की बुलाहट) के योग्य समझे । और भलाई की हर एक इच्छा और विश्वास के हर एक काम को सामर्थ सहित पूरा करें ।
यहां पर प्रेरित पौलुस की प्रार्थना को आप पढ़ते हैं। वह कहते हैं कि परमेश्वर भलाई की हर एक इच्छा को पूरा करें। भलाई की इच्छा परमेश्वर की ओर से आती है। परमेश्वर ही इस भलाई का स्रोत है। हमारा मन कभी भी भलाई को नहीं कर सकता । पवित्र आत्मा परमेश्वर ही इस भलाई को करने की इच्छा को हम में भेजता है ।
हमें ऐसा क्यों करना है । क्या कारण है आत्मा के सारे फल प्रेम, आनंद, मेल, धीरज, कृपा, भलाई हमें क्यों दिखाने हैं? इसका उत्तर भी इसी आयतों में मिलता है। ताकि हमारे परमेश्वर के की महिमा हो। परमेश्वर हमें में महिमा पाएं। यही कारण इन सब फलों को लाने का । कि संसार के लोग हमारे जीवन को को देखकर हमारे परमेश्वर की जो आसमान में है तारीफ करें।
तो अगर अभी तक आप ने परमेश्वर की भलाई को पाने जीवन में नहीं पाया हैं। आप अभी भी आपने पाप में फसें हुए हैं। तो परमेश्वर का संदेश आपके लिए हैं। यीशु मसीह को अपने उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण करें और अपने जीवन में परमेश्वर की भलाई आने दे।