परमेश्वर की इच्छा को कैसे जाने?- How to Know the Will of God?/ Parmeshwar ki ichcha kya hain?

परमेश्वर की इच्छा

परमेश्वर की इच्छा

अभी तक हम परमेश्वर के गुणों के बारे में सीखते हुए आ रहे थे। परंतु इस लेख में हम परमेश्वर की इच्छा के बारे में सीखेंगे

इस में ‘इच्छा’ शब्द में बहुत ही ज्यादा शक्ति है। इच्छा, का अर्थ है एक ऐसी चाहत जिसे सब पूर्ण करना चाहते है। हम सब चाहते है कि हमारे पास अलादीन का चिराग हो, कि जब हम उसको घिसे तब उसमे से जिन निकले ओर कहे की “क्या हुकम मेरे आका”। पर एक सच्चाई है जो वास्तविक है ओर वो ये है कि ये कभी नहीं होंने वाला।

परंतु एक मसीही चेला होने के नाते हम अब अपनी नहीं बल्कि परमेश्वर की इच्छा को पूरा करना चाहते है। ओर यही वो बात है जो हमे संसार के बाकी लोगों से अलग करती है। अब जब बात आती है कि परमेश्वर की इच्छा पर, तो इसको लेकर बहुत सारा बवाल है। अब आप में से बहुत लोग परमेश्वर की इच्छा को करना तो चाहते है ओर बहुत सारे मसीह विश्वासी परमेश्वर की इच्छा को पता करने में लगे भी हुए है। अगर आप भी उन मे से है तो ये आपके लिए है। मैंने इस लेख के तीन भाग किये है। कौन? क्या? और क्यों?

परमेश्वर की इच्छा को कौन पूरा कर सकता हैं ?

कौन परमेश्वर की इच्छा को पूरा कर सकता है? ये बहुत की महत्वपूर्ण सवाल है और इसको जानना उतना ही जरूरी। तो आईए हम पवित्र शास्त्र से देखते है कि कौन है जो परमेश्वर की इच्छा को पूरा करना चाहते है। क्योंकि परमेश्वर का वचन हमें इस बारे में बताता है कि परमेश्वर की इच्छा को पूरी करने वाला व्यक्ति कैसा होना चाहिए।

जो उसको को पूरा करना चाहता हैं

यूहन्ना 7:17 “अगर जो कोई उसकी इच्छा पर चलना चाहे” कोई भी जिसे नया जन्म या उद्धार का अनुभव है, उसकी इच्छा पर चल सकता है।एक बात आपको यहाँ पर समझनी है कि हर कोई परमेश्वर की इच्छा को पूरा नहीं कर सकता। क्योंकि बिना पवित्र आत्मा के कोई भी व्यक्ति परमेश्वर की इच्छा को पूरा करने की सोच ही नहीं सकता। सिर्फ वही जिसने प्रभु यीशु मसीह को अपने उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण किया हैं।

जो परमेश्वर की इच्छा को स्वेच्छा से पूरा करना चाहता हैं

लुका 7:30 “परमेश्वर की इच्छा को अपने विषय में टाल दिया” तो हम इससे समझ सकते है कि परमेश्वर जबरदस्ती नहीं करता अपनी इच्छा को पूरा करवाने के लिए। ये सब आप पर निर्भर है कि आप उसकी मर्जी को करना चाहते है या नहीं।

बाइबल में परमेश्वर की इच्छा क्या हैं ?

परमेश्वर की इच्छा

अब, सवाल यह है कि परमेश्वर की इच्छा क्या है? तो हम इसके लिए प्रार्थना तो बहुत करते है पर एक ओर काम है जो उसके साथ करना चाहिए। क्योंकि अब हम पुराने नियम में नहीं जी रहे है जहां पर परमेश्वर अपनी मर्जी को भविष्यवक्ताओं को बताया करता था।अब इस कलीसिया के युग में उसने पहले से ही बता दिया है कि वो हमसे क्या चाहता है। वो ये कोई मुंहज़ुबानी नहीं बल्कि लिखित तोर से है।

परमेश्वर की इच्छा है कि हम पाप ना करें।

  • *1 थिस्सलुनीकियों 4:3 क्योंकि परमेश्वर की इच्छा यह है, कि तुम पवित्र बनो: अर्थात व्यभिचार से बचे रहो।

सबसे पहली परमेश्वर की मर्जी है कि हम पवित्र बने। वह सिर्फ हम से आत्मिक ही नहीं बल्कि शारीरिक पवित्रता भी चाहता है। परमेश्वर की यही इच्छा तब थी जब परमेश्वर ने आदम ओर हवा को बनाया था। हमारे नैतिक जीवन का स्तर परमेश्वर के स्तर के समान होना चाहिए। हमे अपने विचारों में भी पवित्र होना है। क्योंकि हमारे विचार हमे बना भी सकते है ओर तबाह भी कर सकते है।

परमेश्वर की इच्छा है कि सबका उद्धार हो।

1 तीमुथियुस 2:4 वह यह चाहता है, कि सब मनुष्यों का उद्धार हो; और वे सत्य को भली भांति पहिचान लें।

यहाँ पर हम जान पाते है कि परमेश्वर चाहता है कि दुनिया के सब लोग उद्धार के अनुभव में आ जाए। अगर आप सचमुच में परमेश्वर की मर्जी को पूरा करना चाहते है तो लोगों को सुसमाचार सुनाना हमारा पहला काम होना चाहिए पर इससे पहले कि आप जा के ये काम करे उससे पहले ये सवाल है कि क्या आपने उसकी इच्छा को खुद के लिए पूरा किया है या नहीं। मतलब आप को नए जन्म का अनुभव है कि नहीं। अगर नहीं तो अभी समय है अपना जीवन प्रभु यीशु को देने का। उसको अपना प्रभु करके स्वीकार करे।

परमेश्वर की इच्छा है कि आप हमेशा प्रभु का धन्यवाद करें।

1 थिस्सलुनीकियों 5:18 हर बात में धन्यवाद करो: क्योंकि तुम्हारे लिये मसीह यीशु में परमेश्वर की यही इच्छा है।

ये भी परमेश्वर की इच्छा है कि हम परमेश्वर का हर समय शुक्र करे क्योंकि ये हमारे लिए परमेश्वर की मर्जी है। कभी कभी ये मुश्किल हो सकता है पर ये नामुमकिन नहीं है। हर परिस्थितियों में हमे उसका धन्यवाद करने का मन होना चाहिए। और  ये हमारे जीवन को परमेश्वर की मर्जी में जीने में बहुत मदद करेगा।

परमेश्वर की इच्छा के अनुसार क्यों चलना हैं ?

जो परमेश्वर की इच्छा पर चलते हैं वो यीशु मसीह के भाई बहन हैं।

हमे उसकी इच्छा पर चलने की जरूरत क्यों है?

मरकुस 3: 35 क्योंकि जो कोई परमेश्वर की इच्छा पर चले, वही मेरा भाई, और बहिन और माता है॥

यहाँ पर खुद प्रभु यीशु कहते है जो कोई परमेश्वर की मर्जी पर चलता है वो उसके भाई और बहन और माता है। ये कितना ही सुखदायक है कि हमारा परमेश्वर के साथ एक रिश्ता बन जाता है। जब हम उसकी इच्छा पर चलते है तो वो हमे एक न्यायी की तरह नहीं देखता बल्कि अपने परिवार के सदस्य के समान देखता है। जब हम प्रभु यीशु को उद्धार कर्ता के रूप में स्वीकार कर लेते है तब हम परमेश्वर के परिवार में जुड़ जाते है। आज मसीह समाज इसी बीमारी का शिकार है , परमेश्वर के साथ एक अच्छा रिश्ता न होना।

परमेश्वर की इच्छा पर चलने वाला परमेश्वर के साथ रहेगा।

1 यूहन्ना 2: 17 और संसार और उस की अभिलाषाएं दोनों मिटते जाते हैं, पर जो परमेश्वर की इच्छा पर चलता है, वह सर्वदा बना रहेगा॥

परमेश्वर की इच्छा क्या हैं

ये आयात मत्ती 7:21 का स्मरण दिलाती है जहां प्रभु यीशु ने खुद कहा था जो उसके पिता की इच्छा पर नहीं चलते वह उन्हे नहीं जानता। आप एक अच्छे वक्ता हो सकते है, एक अच्छे बाइबल का ज्ञान रखने वाले हो सकते है लेकिन, अगर आप परमेश्वर की इच्छा पर नहीं चलते तो आप परमेश्वर के साथ हमेशा या अनंत जीवन नहीं बिता सकते।

आप इंसान को मूर्ख बना सकते है परमेश्वर को नहीं । मैं आशा करता हूँ कि आपको इस लेख से कुछ सहायता जरूर मिली होगी। बाइबल में आप और भी ऐसी आयतों को पा सकते है जो परमेश्वर की इच्छा के बारे मे बताती है। तो इसको शेयर करे ओर दूसरे मसीह भाई- बहनों तक भी इसे पहुंचाए । किरपा करके नीचे कमेन्ट करके अपने सुझाव जरूर बताए।

परमेश्वर के गुणों के बारे में जानने के लिए यहाँ टच करें

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top