आज हम 1 कुरिन्थियों 11:1 के उस पवित्र वचन पर मनन कर रहे हैं जहाँ प्रेरित पौलुस अपने हृदय की गहराई से कहता है—“मेरा अनुसरण करो, जैसे मैं मसीह का अनुसरण करता हूँ।” यह एक साधारण-सी बात लगती है, परन्तु इसमें मसीही जीवन का पूरा रहस्य छिपा है। यह वचन हमें केवल किसी धार्मिक नियम का पालन करने को नहीं बुलाता, बल्कि हमें एक प्रेमपूर्ण निमंत्रण देता है कि हम अपने प्रभु यीशु मसीह के पद-चिह्नों में चलें।
जैसे कोई बच्चा अपने पिता के नक्शे-कदम पर पैर रखकर चलता है, वैसे ही हमारा हर कदम मसीह के कदमों में रखा जाए। यह अनुसरण केवल बाहरी नियमों का नहीं, बल्कि भीतरी जीवन का परिवर्तन है—जहाँ हमारा स्वभाव, हमारी सोच, हमारे शब्द और हमारे कार्य धीरे-धीरे मसीह के समान बनने लगते हैं।
पौलुस जब यह बात कहता है, तो वह अपने आप को ऊँचा नहीं उठा रहा। वह तो स्वयं को एक दर्पण बना रहा है। पहले वह शाऊल था—मसीहियों को सताने वाला, घमण्डी, कानून का कट्टर पालनकर्ता। पर दमिश्क के मार्ग पर जब प्रभु यीशु ने उससे कहा, “शाऊल, शाऊल, तू मुझे क्यों सताता है?” तो उसी क्षण उसका हृदय टूट गया और नया बन गया।
उस दिन से उसने अपना सारा जीवन, अपनी सारी बुद्धि, अपनी सारी शक्ति मसीह के चरणों में डाल दी। वह अब अपने लिए नहीं जीता था। वह कहता था, “मैं मसीह के साथ क्रूस पर चढ़ाया गया हूँ, अब मैं नहीं जीता, पर मसीह मुझ में जीवित है।” इसलिए जब वह कहता है “मेरा अनुसरण करो”, तो वास्तव में वह कह रहा है—“मसीह को देखो जो मुझमें जीवित है।” यह विनम्रता की पराकाष्ठा है कि एक व्यक्ति जो कभी मसीह का सबसे बड़ा शत्रु था, अब दूसरों को मसीह तक ले जाने का मार्ग बन गया।
मसीह का अनुसरण करना कोई सैद्धान्तिक बात नहीं है; यह एक जीवित सम्बन्ध है। यीशु ने स्वयं कहा था, “मेरे पीछे चले आओ।” उसने कभी नहीं कहा कि मेरे नियमों का पालन करो और बस हो गया। उसने कहा—“मेरे पीछे चले आओ।” अर्थात जहाँ मैं जा रहा हूँ, वहाँ आओ। जहाँ मैं रुकता हूँ, वहाँ रुको। जिस तरह से मैं प्रेम करता हूँ, उसी तरह से तुम भी प्रेम करो। जिस तरह से मैं क्षमा करता हूँ, उसी तरह से क्षमा करो। वह थका हुआ था, फिर भी भीड़ के पास जाता था। वह भूखा था, फिर भी रोटियाँ तोड़कर दूसरों को खिलाता था।
उसे थप्पड़ मारा गया, उसने दूसरा गाल आगे कर दिया। उसे क्रूस पर चढ़ाया गया, उसने प्रार्थना की—“हे पिता, इन्हें क्षमा कर।” यह वह चाल है जिसे हम सीख रहे हैं। यह प्रेम की चाल है, बलिदान की चाल है, विनम्रता की चाल है। जब हम इस चाल में चलते हैं, तो हमारा क्रोध प्रेम में बदल जाता है, हमारा बदला क्षमा में, हमारा स्वार्थ सेवा में और हमारा घमण्ड प्रभु की महिमा में।
हमारा जीवन एक खुला पत्र है जिसे दुनिया रोज पढ़ती है। लोग बाइबिल कम पढ़ते हैं, पर हमारे जीवन को ध्यान से देखते हैं। जब हम ट्रैफिक में गुस्सा होने के बजाय धीरज रखते हैं, जब ऑफिस में बेईमानी के बीच भी सच्चाई पर डटे रहते हैं, जब घर में थकान और झुंझलाहट के बावजूद प्रेम से बोलते हैं, जब दुख-तकलीफ में भी हमारी जीभ पर स्तुति रहती है—तब लोग रुककर पूछते हैं, “यह शक्ति कहाँ से आती है? यह धीरज, यह प्रेम, यह आनन्द कहाँ से?” और उस समय हमारे पास सबसे सुन्दर जवाब होता है—“यह मसीह है जो मुझमें जीवित है।” हमारा जीवन मसीह का विज्ञापन बन जाता है। हमारी मुस्कान, हमारी शांति, हमारी क्षमा—ये सब मसीह की ओर इशारा करने वाले तीर बन जाते हैं।
आज प्रभु अपने कोमल स्वर में हमसे कुछ गहरे प्रश्न पूछ रहा है। क्या मेरे शब्द यीशु जैसे हैं—जो चोट पहुँचाने के बजाय चंगा करते हैं, जो आलोचना के बजाय उत्साह देते हैं? क्या मेरे विचार शुद्ध हैं, या उनमें कड़वाहट, ईर्ष्या, और निंदा का विष भरा हुआ है? जब कोई मुझे दुःख देता है, क्या मैं तुरंत क्षमा कर पाता हूँ, या मन में बदले की आग जलती रहती है? क्या मेरे बच्चे मेरे जीवन में मसीह को देख पाते हैं? क्या मेरे पड़ोसी, मेरे सहकर्मी, मेरे मित्र मेरे द्वारा परमेश्वर के और करीब आते हैं या दूर चले जाते हैं? ये प्रश्न कठोर नहीं हैं, ये प्रेमपूर्ण आमंत्रण हैं कि हम अपने हृदय को प्रभु के सामने खोलें और कहें—“प्रभु, मुझे और गहरे में बदल दे।”
हे प्रिय यीशु, आज मैं तेरे सामने झुकता हूँ। मैं देखता हूँ कि तेरे चरण-चिह्न कितने पवित्र, कितने सुन्दर हैं, और मैं स्वयं को कितना अयोग्य पाता हूँ। पर तू मुझे बुलाता है। तू मुझे हाथ थामकर उठाता है और कहता है—“मेरे पीछे चले आ।” मैं अपना पुराना मनुष्यत्व, अपना अहंकार, अपनी कठोरता, अपना स्वार्थ—सब कुछ तेरे क्रूस पर रख देता हूँ।
मुझे अपना लहू दे, अपना हृदय दे, अपनी विनम्रता दे, अपना प्रेम दे। मेरे घर में तेरी शांति बसे, मेरे होंठों पर तेरी स्तुति रहे, मेरे हाथ तेरी सेवा में लगें, मेरे पैर तेरे मार्ग पर चलें। जब तक साँस है, मैं तेरे पीछे चलूँगा। और जब मेरी आखिरी साँस आए, तो लोग यह न कहें कि “वह अच्छा इंसान था”, बल्कि कहें—“वह तो मसीह का था, उसमें मसीह की खुशबू थी, उसकी आँखों में मसीह की चमक थी।” मैं तेरे समान बनने की इस यात्रा में हाँफता हूँ, रोता हूँ, गिरता हूँ, पर तू मुझे उठाता है। मैं तेरे पीछे चलता हूँ, मेरे प्रभु, आज और हमेशा तेरे पीछे। पवित्र आत्मा मेरी सहायता करें। आमीन।
, मसीह के अनुकरण में चलते रहें। हर कदम में उसकी महिमा हो, हर साँस में उसकी सुगंध फैले, और हर दिन हम और अधिक उसके समान बनें। क्योंकि यही हमारी बुलाहट है, यही हमारा गंतव्य है—कि हम मसीह के समान बन जाएँ।