पवित्र आत्मा की निंदा/what is blasphemy against the holy spirit-10

पवित्र आत्मा की निंदा Blasphemy against the holy spirit

पवित्र आत्मा की निंदा, इसके बारे में आप ने बहुत बार सुना होगा। अधिकतर लोगों को पवित्र आत्मा के निंदा करने से डर भी लगता हैं। कभी कभी आप को लगता होगा कि मेरे मन में परमेश्वर के विरुद्ध ऐसा विचार आया हैं। मैंने पवित्र आत्मा की निंदा कर दी हैं। अब मेरा क्या होगा? मैं तो नरक का भागी हो चुका हूँ। ऐसे ऐसे बहुत सारे विचार जो एक विश्वासी को बहुत ही ज्यादा विचलित कर देते हैं।

पवित्र आत्मा की निंदा

इसलिए मैंने इस लेख को लिखने का विचार किया है। कि आप जान सकें कि पवित्र आत्मा की निंदा क्या हैं? तो आज हम इस बात को बहुत ही अच्छे से समझने का प्रयास करेंगे। ताकि आप को इस बात का अच्छे से समझ आ जाए, कि पवित्र आत्मा के विरुद्ध पाप करना क्या हैं

पवित्र आत्मा की निंदा; बाइबल भाग

पवित्र आत्मा की निंदा के बारे में आप को मरकुस  3:22–30 और मत्ती 12:22–32 में आपको ये आयतें मिलेगी। जब यीशु मसीह ने एक दुष्टात्मा से पीड़ित व्यक्ति को चंगा किया था। उस समय यहूदी धर्म के अगुवे वहाँ पर थे। उन्होंने यीशु के विषय में इस बात को कहा कि वह (यीशु) दुष्‍टात्माओं के सरदार बालज़बूल (शैतान के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला नाम) की सहायता से ये सब काम करता हैं।

जब उन्होंने इस प्रकार से कहा, तब प्रभु यीशु मसीह ने उनके विषय में ऐसा कहा “इसलिये मैं तुम से कहता हूँ कि मनुष्य का सब प्रकार का पाप और निंदा क्षमा की जाएगी, परन्तु पवित्र आत्मा की निंदा क्षमा न की जाएगी। 32 जो कोई मनुष्य के पुत्र के विरोध में कोई बात कहेगा, उसका यह अपराध क्षमा किया जाएगा, परन्तु जो कोई पवित्र आत्मा के विरोध में कुछ कहेगा, उसका अपराध न तो इस लोक में और न परलोक में क्षमा किया जाएगा”*

तो यहाँ पर हमको ये शब्द या आयतें मिलती हैं। जिसको आप स्पष्ट रीति से समझेंगे। आज आपको ये बात अच्छे से समझ भी आ जाएगी कि पवित्र आत्मा के विरुद्ध निंदा या पवित्र

पवित्र आत्मा की निंदा

आत्मा के विरुद्ध पाप करना क्या हैं?

प्रष्टभूमि

सबसे पहले तो आपको ये समझना हैं कि उसके समय की प्रष्टभूमि क्या थी? जब यीशु मसीह ने ये सब कुछ कहा उस समय में क्या चल रहा था? तभी आप समझ पाएंगे कि पवित्र आत्मा की निंदा करना क्या हैं। जब यीशु मसीह इस संसार में था। यीशु मसीह के समय में शास्त्री और फरीसी भी थे। जो कुछ यीशु मसीह ने किया उन्होंने उस सब को देखा था। उन्होंने देखा था कि कैसे यीशु मसीह ने मुरदों को जीवित किया। दुष्टातमा  से पीड़ित लोगों को चंगाई दी हैं। यानि के जो कोई भी चमत्कार यीशु मसीह ने किया वे सब लोग उन बातों के गवाह थे।

उनके पास पवित्रशास्त्र था। खुद प्रभु यीशु मसीह देह में थे। पवित्र आत्मा की मौजूदगी थी। इतना सब होने पर भी उन्होंने परमेश्वर के पुत्र का इंकार कर दिया। अब इस से ज्यादा प्रकाशन किसी को भी नहीं दिया था। जितना उस समय के लोगों को दिया गया था।

पवित्र आत्मा की निंदा का अर्थ क्या हैं

पवित्र आत्मा की निंदा इसके अर्थ को भी समझना जरूरी हैं। निंदा शब्द का अर्थ हैं “बुरा बोलना”। तो इसका अर्थ हुआ पवित्र आत्मा के विरुद्ध बुरा बोलना, दोष लगाना। ये ही  काम उस समय के धर्म के अगुवों ने किए। उन्होंने पवित्र आत्मा की सामर्थ और उसके परमेश्वर होने को नकार दिया।

क्या आज पवित्र आत्मा के विरुद्ध की जा सकती हैं।

नहीं, इस बात को समझना बहुत जरूरी है। आज कोई भी व्यक्ति पवित्र आत्मा की निंदा नहीं कर सकता। पर बहुत सारे है जो कहते है अन्य अन्य भाषा के विरुद्ध बोलना पवित्र आत्मा की निंदा करना है जोकि वो खुद करतें हैं। लेकिन बाइबल में ऐसी कोई भी शिक्षा नहीं हैं।

आज पवित्र आत्मा की निंदा क्यों नहीं हो सकती क्योंकि आज यीशु मसीह हमारे बीच देह के साथ शामिल नहीं हैं। यीशु मसीह परमेश्वर के दाहिने और विराजमान हैं। क्योंकि उस समय में धर्म के अगुवों ने परमेश्वर के श्रेय शैतान को दिया था।  इस बात को यीशु मसीह भी बहुत ही साफ रीति से कहता हैं। मरकुस 3:30  उस में अशुद्ध आत्मा  है इस वजह से उनका पाप माफी रहित होगा ।

धर्म के अगुवों ने इसने सारे प्रकाशन के मिलने पर भी यीशु मसीह को नकार दिया और उनका ये पाप ना तो तब क्षमा हुआ था और ना ही अनंतकाल तक होगा।।

क्षमा ना होने वाला पाप क्या है

लेकिन फिर भी एक ऐसा पाप है जिसकी क्षमा नहीं है। उसको हम एक तरह से पवित्र आत्मा के विरुद्ध पाप या निंदा करना कह सकते हैं। वो है मसीह यीशु के सुसमाचार पर विश्वास ने करना। ये पाप है लगातार अविश्वासी की दशा में बने रहें। पवित्र आत्मा हर व्यक्ति कायल करता हैं जब वह सच्चा सुसमाचार सुनता हैं क्योंकि पवित्र आत्मा का ये ही काम हैं

पवित्र आत्मा की निंदा

जब एक व्यक्ति बार बार पवित्र आत्मा के उस आवाज को नकारता रहता है तो उसका ये पाप क्षमा नहीं होगा । क्योंकि उस ने जानबुझ कर यीशु मसीह पर विश्वास करने से मना कर दिया हैं यहूना इसके विषय में बहुत ही साफ साफ कहता हैं यूहन्ना 3:18, 36 जो उस पर विश्‍वास करता है, उस पर दण्ड की आज्ञा नहीं होती, परन्तु जो उस पर विश्‍वास नहीं करता, वह दोषी ठहर चुका; इसलिये कि उसने परमेश्‍वर के एकलौते पुत्र के नाम पर विश्‍वास नहीं किया

निष्कर्ष

आज आपने सीखा कि पवित्र आत्मा की निंदा  करना क्या हैं? ये पाप यीशु मसीह के समय के धर्म के अगुवों ने किया था। और इसको आज के समय में दुबारा दौराहया नहीं जा सकता। क्योंकि उनकी और हमारी प्रष्टभूमि बिल्कुल अलग हैं। लेकिन आज भी वो व्यक्ति जानबुझ कर प्रभु यीशु मसीह पर ईमान नहीं लाता। और निरंतर पाप कि दशा में बना रहता है उस पर दंड की आज्ञा हैं।

आज इस लेख को पढ़ कर आप चुके है कि अनंत काल के दंड से बचने का सिर्फ एक ही उपाय है वो है यीशु मसीह को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करना। इस बात को मान लेना कि आपके पापों के कारण यीशु मसीह कलवरी के क्रूस अपनी जान दी। आपके के पापों के कारण वो कब्र में रखा गया लें आपको धर्मी ठहरने के लिए मुरदों मे से तीसरे दिन जी उठा। और आज परमेश्वर के दाहिने और मौजूद हैं।

इस बात को अंगीकार करें। क्योंकि परमेश्वर नहीं चाहता कि आप आपने पाप में नाश हो बल्कि वह आपको बचाना चाहता हैं ।

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