पवित्र आत्मा का फल नम्रता 08/ Pavitr Aatma ka Fal Namrata/ Fruit of Holy Spirit

पवित्र आत्मा का फल नम्रता-परिचय

आप पवित्र आत्मा के फल विषय में सीखते हुए आ रहे आप ने अभी तक पवित्र आत्मा के 7 फल के बारे में सीख चुके हैं। पवित्र आत्मा का फल प्रेमआनंदमेलधीरजकृपाभलाई, और विश्वास। आज आप इस लेख में पवित्र आत्मा का फल नम्रता के बारे में सीखेंगे|

पवित्र आत्मा का फल नम्रता अर्थ

पवित्र आत्मा का फल नम्रता

शब्दकोश के मुताबिक नम्रता का अर्थ है “स्वयं सौभ्य, मध्यम, विनम्र या विनम्र गुण” नम्रता एक सद्गुण हैं। पवित्र आत्मा का फल नम्रता प्रगट होता है दयाभाव के साथ। नम्रता के बारे में बहुत से लोग इस तरह का विचार रखते हैं कि नम्र  होने का मतलब हैं, झुक के चलना, सभी लोगों की मदद करना | किसी से कुछ गलत शब्द या गलत ना कहना, और जो जरूरत में हो उसकी मदद के लिए हमेशा तैयार रहना |

इस तरह से नम्रता के बारे आप और मैं और बल्कि जगत के लोग समझते हैं | संसार की दृष्टि से देखा जाये तो एक हद ये सही भी हैं |  नम्रता दयालुता का एक भाग है | नम्रता किसी व्यक्ति के ऊपर दबाव नहीं डालती | अगर किसी से कुछ काम नही होता हैं तो नम्र व्यक्ति उसके साथ या किसी के साथ भी कठोर नहीं होता |

इस नम्रता को दूसरे शब्दों में आप इस तरह से समझ सकते हैं | कि अगर कोई आप को परेशान करता है या सताता है | तो आप उसके साथ वैसा व्यवहार नहीं करते बल्कि इसके बिल्कुल उल्टा उसके साथ नम्रता और दया का भाव प्रकट करते हैं | यही है नम्रता जिसको हम चाहते हैं |  यह हमारे जीवन का एक भाग भी है हमारे अंदर नम्र स्वभाव होना भी चाहिए |

प्रेरित पौलुस कहता है गलातियों 6:1 “हे भाइयो, यदि कोई मनुष्य किसी अपराध में पकड़ा भी जाए तो तुम जो आत्मिक हो, नम्रता( नम्रता की आत्मा) के साथ ऐसे को संभालो, और अपनी भी चौकसी रखो कि तुम भी परीक्षा में न पड़ो”

यहां पर पौलुस बहुत की साफ़ रीति से कहता है कि तुम में जो किसी एक ऐसे जन को देखे जो किसी पाप या बुरी जगह या संगति या किसी और बुरे चक्कर में फंसा हुआ है  तो एक आत्मिक व्यक्ति की पहचान के अनुसार जो उसकी नम्रता है, जो व्यक्ति परीक्षा में पड़ा है एक आत्मिक जन उस व्यक्ति को परमेश्वर के वचन के मुताबिक नम्रता की आत्मा के साथ वापस ला सकता है | कठोरता के साथ नहीं | अगर परमेश्वर ने आपके और मेरे साथ कठोरता की होती ,तो शायद आज हम यहां पर ना होते |

उस व्यक्ति को बार टोंट मार मार कर, बाइबल से उसको ऐसे वचन दिखा दिखा कर, आप उस व्यक्ति को बुरे जंजाल से निकालने की बजाये उसको और ज्यादा अंदर धकेल देंगे| उसके साथ नम्रता के साथ व्यवहार करना हैं| इस प्रकार की नम्रता को सामान्य तौर पर सब में होना चाहिए |

पवित्र आत्मा का फल नम्रता बाइबल के अनुसार देखा जाए | तो यह उस नम्रता से बिल्कुल अलग है जो सामान्य तौर पर हम समझते हैं | जो आप ने ऊपर देखा वह नम्रता लोगों के प्रति हैं। परंतु परमेश्वर के प्रति नम्र होने का अर्थ है “परमेश्वर की इच्छा के प्रति समर्पित होना “ अपने आप को परमेश्वर के सामने नम्र करना | आप ने बहुत बार सुना होगा लेकिन कभी किया नही होगा | क्योंकि बहुत बार आप सुनते तो है लेकिन समझ नही पाते की वास्तव में उसका अर्थ क्या हैं ?

परमेश्वर के सामने नम्र बनने का मतलब जो भी परमेश्वर की इच्छा है | उसमें अपने आप को रखना, फिर चाहे आपकी कोई भी कैसी भी इच्छा क्यों ना हो|  वह ज्यादा मायने नही रखती | यह है बाइबल की परमेश्वर के प्रति नम्रता और बिना पवित्र आत्मा की सामर्थ के हम में से कोई भी परमेश्वर की इच्छा में बना नहीं रह सकता और ना ही उसको पूरा कर सकता |

पवित्र आत्मा का फल नम्रता में परमेश्वर की इच्छा में ही नहीं बल्कि परमेश्वर के वचन की अधीनता में भी बने रहने के बारे में सिखाता है | पवित्र आत्मा का फल नम्रता मतलब परमेश्वर के वचन की अधीनता में बने रहना | फिर चाहे आप अपने मन में कैसे ही विचार क्यों ना रखते हैं उससे कोई फर्क नहीं पड़ता, परंतु पर इस बात से पड़ता  है कि परमेश्वर का वचन उसके बारे में क्या कहता है और याकूब इसके बारे में बताता है

याकूब 1:21 “इसलिये सारी मलिनता और बैर भाव की बढ़ती को दूर करके, उस वचन को नम्रता से ग्रहण कर लो जो हृदय में बोया गया और जो तुम्हारे प्राणों का उद्धार कर सकता है”।

याकूब कहता है परमेश्वर के वचन को जो तुम्हारे हृदय में नम्रता के साथ ग्रहण करो | परमेश्वर के वचन को सिर्फ और सिर्फ नम्रता के साथ ही आप ग्रहण कर सकते हैं | अगर आप पवित्र आत्मा की अगुवाई में नम्र नहीं बनते, तो आप परमेश्वर के वचन को ग्रहण( उसके मुताबिक नही चल पाएंगे)  नहीं कर पाएंगे; आप परमेश्वर के वचन में बने नहीं रह सकते। बाइबल सिर्फ परमेश्वर के प्रति नम्र बनने के लिए नहीं; बल्कि उन सब के साथ भी नम्र बनने के लिए कहती है जो हमारे आसपास रहते है तीतुस 3:2 ।

पवित्र आत्मा का फल नम्रता: उदाहरण

यदि आप को पवित्र आत्मा का फल नम्रता के बारे में सीखना है | तो प्रभु यीशु मसीह से अच्छा कोई भी उदाहरण हमारे पास नहीं है | प्रभु मसीह की नम्रता बाकी सब की नम्रता से बहुत ऊपर है | प्रभु मसीह ही ने वास्तव में बताया कि नम्रता क्या है|  2 कुरिंथियो 10:1 पौलुस कहता है। तुम को मसीह की नम्रता और कोमलता के कारण समझाता हूं। प्रेरित पौलुस भी यीशु मसीह की नम्रता के पीछे चलने का प्रयास कर रहा है| प्रेरित पौलुस ने भी मसीह से सीखा कि नम्रता क्या है |

पवित्र आत्मा का फल नम्रता

मती 11:29 प्रभु यीशु मसीह ने कहा मुझसे सीखो क्योंकि मैं नम्र और मन में दीन  हूं हमारे प्रभु यीशु मसीह ने खुद कहा कि वह नम्र  है। हम भी इस उदाहरण से सीख सकते हैं फिलिप्पियों 2:6-8 प्रभु यीशु मसीह की नम्रता के बारे में परमेश्वर का वचन बहुत ही स्पष्ट तौर पर बताता है। इस तरह से प्रभु यीशु मसीह के बारे में इस तरह से बताता है | कि प्रभु यीशु मसीह परमेश्वर होने पर भी खुद को इतना नम्र  किया परमेश्वर की इच्छा वचन के मुताबिक इंसान का रूप धारण किया | क्रूस की मौत को भी सह लिया,  ताकि हम पाप से छुड़ाए जा सकें। इस तरह की नम्रता को हम प्रभु यीशु मसीह से सीखते हैं।

पवित्र आत्मा का फल नम्रता : आज्ञा

इफिसियों 4:1-2 “इसलिये मैं जो प्रभु में बन्दी हूँ तुम से विनती करता हूँ कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए थे, उसके योग्य चाल चलो, अर्थात् सारी दीनता और नम्रता सहित, और धीरज धरकर प्रेम से एक दूसरे की सह लो”

प्रेरित पौलुस कहता है कि जिस बुलाहट से तुम बुलाए गए थे, उसके योग्य चाल चलो। वह योग्य चाल क्या है। वह है सारी दीनता और नम्रता के साथ। आपको अपने मसीही जीवन को नम्रता के साथ जीना है। नम्रता मतलब परमेश्वर के वचन की अधीनता में रह कर जीवन बिताना हैं। जो व्यक्ति खुद को परमेश्वर का जन होने के दावा करता हैं। परंतु परमेश्वर के वचन की अधीनता में नही रहते। वह वास्तविक तौर पर परमेश्वर के जन नहीं हैं।

आपने  ऊपर मसीह की नम्रता के बारे में सीखा और किस तरह से मसीह ने इस नम्रता को हम पर प्रगट किया है। ठीक उसी तरह से हमको भी नम्रता के साथ अपने जीवन को परमेश्वर के वचन की अधीनता में रखना है।

पतरस हमको बहुत ही अच्छी हिदायत देती है। जब हमको अपनी आशा और सुसमाचार के बारे में किसी को बताना है तो हमको नम्रता और दीनता के साथ परमेश्वर के सुसमाचार का प्रचार करना हैं। ना के रीस और जलन के साथ। बल्कि नम्र हो कर इस सच्चाई के बारे में बताना है जो परमेश्वर ने आपको और मुझे बताई हैं। 1 पतरस 3:15

पवित्र आत्मा का फल नम्रता :स्रोत

पवित्र आत्मा का फल नम्रता के बारे में आप ने अभी सीखा और जाना है की परमेश्वर के प्रति नम्र होने का अर्थ परमेश्वर के वचन की अधीनता में रहना हैं | और ये पवित्र आत्मा का फल है तो पवित्र आत्मा के द्वारा ही आपको मिलेगा |

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