परमेश्वर का प्रेम क्या हैं? परमेश्वर के गुण भाग-11/Love of God-Hindi/ Parmeshwar ka prem

परमेश्वर का प्रेम क्या हैं?

परमेश्वर का प्रेम

परमेश्वर के प्रेम को बताने के लिए परमेश्वर के वचन से अच्छा कुछ भी नहीं हैं। परमेश्वर ने अपने वचन में अपने प्रेम के  बारे में बताया हैं कि परमेश्वर का प्रेम क्या और कैसा हैं।

जो प्रेम परमेश्‍वर हम से रखता है, वह इस से प्रगट हुआ कि परमेश्‍वर ने अपने एकलौते पुत्र को जगत में भेजा है कि हम उसके द्वारा जीवन पाएँ। 10 प्रेम इस में नहीं कि हम ने परमेश्‍वर से प्रेम किया, पर इस में है कि उसने हम से प्रेम किया और हमारे पापों के प्रायश्‍चित के लिये अपने पुत्र को भेजा। (1 यहूना 4:9-10)

आजकल संसार का प्रेम क्या हैं?

प्रेम, एक ऐसी भावना जिसने पूरे संसार को प्रभावित किया हुआ है। शायद ही कोई ऐसा होगा जो इसके प्रभाव में ना आया हो। इस दुनिया में सब प्रेम में पागल बैठे है। और ये पागलपन आपको पार्क में, पेड़ों पर, बच्चों की किताबों में या थोड़ा और साफ कहूँ तो इंस्टाग्राम या व्हाट्सअप की स्टोरी पर देखने को मिल ही जाएगा।

ये संसार प्यार को लेकर पूरी तरह से ग्रस्त है। पर क्या वास्तव में प्रेम ये ही है? या फिर प्रेम के नाम पर कुछ बहुत गलत किया जा रहा है। हम सब के अंदर एक अच्छे जीवन साथी को पाने की चाह होती है। इसीलिए परमेश्वर ने विवाह को बनाया है। शायद मेरे ये शब्दआपको कठोर लगे पर आज के समय में प्रेम के नाम पर खुलेआम व्यभिचार हो रहा है। लोगों को इसे करने में कोई समस्या भी नहीं है।

इसका एक दूसरा पहलू भी है कि आज कल प्रेम के नाम पर कोई भी किसी को भी मार रहा है। आपको समाचारों में ऐसा बहुत कुछ देखने को मिल जाएगा। अब हम सब इंसान है सब में प्रेम करने की और प्रेम पाने की चाह है। पर क्या हम वास्तव में उस प्रेम को जानते है जिसकी हम तलाश में है? क्या कभी आपने  सोचा है कि आपके अंदर प्रेम की चाह कहा से आई है? क्यों हम किसी को अपने साथ हमेशा चाहते है? हमेशा की तरह इसका भी जबाव है परमेश्वर।

परमेश्वर ने आपको और मुझे बनाया है और परमेश्वर ने ही उस प्रेम की चाह को हमारे मन के अंदर डाला है। क्योंकि परमेश्वर प्रेम है और आज हम इस लेख में परमेश्वर के प्रेम के बारे में ही बात करेंगेऔर इस बात को समझने की कोशिश करेंगे। मैंने पहले ही बता दिया हैं कि परमेश्वर का प्रेम कैसा है और परमेश्वर का प्रेम सबसे उत्तम है।

परमेश्वर ही प्रेम हैं

परमेश्वर प्रेम करता है और परमेश्वर ही प्रेम है दोनों बहुत अलग है। बाइबल हमे बताती है कि परमेश्वर ही प्रेम है। और परमेश्वर जो कुछ भी करता है वो प्रेम के साथ और प्रेम में करता है। परमेश्वर प्रेम का स्रोत है। क्योंकि परमेश्वर ही प्रेम है और सबसे अनोखी बात ये है कि लोगों को परमेश्वर का ये गुण बहुत ही ज्यादा पसंद है बजाए उसके दूसरे गुणों के। ए. डब्लू. पिंक इस तरह से बताते है।

“बहुत सारे है जो परमेश्वर के प्रेम के बारे में बात करते है, जो परमेश्वर के प्रेम से पूरी तरह से अनजान है। दिव्य प्रेम को आम तौर पर एक प्रकार की  मिलनसार कमजोरी माना जाता है, जैसे कि एक प्रकार का अच्छा स्वभाव; यह एक तरह की केवल मानव भावना है जो मनुष्य की भावना पर आधारित है। पर वास्तव में सच्चाई ये है कि हमारी सोच और हमारे विचारों को परमेश्वर के वचन के अनुसार बनाने की जरूरत है। और ऐसा करना बहुत ही आवश्यक है

सिर्फ इसलिए नहीं कि परमेश्वर के प्रेम को लेकर जो अज्ञानता प्रबल होती जा रही है परंतु इसलिए भी कि नामधारी मसीह लोगों के बहुत निचले आत्मिक स्तर के कारण। परमेश्वर के लिए बहुत कम सच्चा  प्रेम बचा है । इसका कारण ये है कि हमारा  दिल परमेश्वर के अद्भुत प्रेम से बहुत थोड़ा भरा है। हम परमेश्वर के प्रेम को उतना ही बहतर समझ पाएंगे जितना हम उसके स्वभाव और परिपूर्णता को जानेगें। और हमारा दिल उतना ही उसके प्रेम से भर जायेगा”

कई लोग कहते है प्रेम, परमेश्वर है लेकिन ये अवधारणा बिलकुल ही गलत है। प्रेम काअस्तित्व ही परमेश्वर से है। यदि परमेश्वर है तो प्रेम है। तो प्रेम परमेश्वर का एक और गुण है।

परमेश्वर के प्रेम के बारे में बाइबल क्या बताती हैं?

परमेश्वर के प्रेम के बारे में जानना इसलिए बहुत जरूरी है क्योंकि परमेश्वर के प्रेम को लेकर बहुत सारी ऐसी धारणा बना रखी है जिसने परमेश्वर के प्रेम को बिल्कुल ही पलट कर रख दिया है। आज मैं कोशिश करूंगा कि आप को समझा सकूँ कि परमेश्वर का प्रेम वास्तव में क्या है? और ये ऐसा नहीं है जैसा हम सोचते है। परमेश्वर का प्रेम हमारी समझ से परे है। वास्तव में प्रेम को सही रूप से परमेश्वर ने ही हम पर प्रगट किया है (1 यूहन्ना 4:9)

परमेश्वर का प्रेम असीमित हैं

परमेश्वर का प्रेम

परमेश्वर का प्रेम असीमित और कभी ना खत्म होने वाला प्रेम है। ( भजन 103:11यशायाह 63:7इफिसियों 3:18-19)। हम अनंत काल के लिए परमेश्वर के प्रेम पर विचार करते रहेंगे, और कभी भी परमेश्वर के प्रेम को समझ नही पाएंगे क्योंकि परमेश्वर का प्रेम अथाह है। जिसको कोई भी समझ नहीं सकता। क्योंकि परमेश्वर के प्रेम करने की कोई भी सीमा  नहीं हैं।

परमेश्वर का प्रेम अनंत हैं

परमेश्वर का प्रेम अनंत है (भजन 136:1-2यिरमियाह 31:3)। परमेश्वर के प्रेम का कोई अंत नहीं है। परमेश्वर का कभी ना बदलने वाला प्रेम है (श्रेषठगीत 8:6-7मीका 7:18-20याकूब 1:17)  परमेश्वर का प्रेम मनुष्य के प्रेम के जैसा नहीं है जो कभी भी कुछ भी सोचकर या देख कर बदल जाता है। हम इसको हर रोज महसूस करते है।

परमेश्वर का प्रेम ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। क्योंकि परमेश्वर अपरिवर्तिनय है तो परमेश्वर का प्रेम भी कभी ना बदलने वाल प्रेम है। और परमेश्वर का प्रेम परमेश्वर के गुणों से अलग नहीं है।

परमेश्वर का प्रेम पवित्र हैं

परमेश्वर का प्रेम पवित्र है (रोमियों 5:5इफिसियों 1:45:25-26)। यहाँ पर मैं थोड़ा समय बिताना चाहता हूँ, ताकि हम इस बात को समझ सके, परमेश्वर का प्रेम पवित्र है जो पवित्र आत्मा के द्वारा हमारे दिलों में डाला गया है, और परमेश्वर का प्रेम हमे पवित्रता की और लेकर चलता है। बहुत सारे लोग परमेश्वर के प्रेम को स्वीकार तो करते है कि परमेश्वर, प्रेमी परमेश्वर है पर वो परमेश्वर के प्रेम को समझ नहीं पाते।

जिसकी वजह से बहुत सारे लोग जो खुद को मसीह बताते है नरक में अपना अनंत काल बीता रहे होंगे। और सिर्फ गैर मसीहों में ही नहीं बल्कि बहुत सारे मसीह भी इसका शिकार है। वो सोचते है कि परमेश्वर प्रेमी परमेश्वर है इसलिए वो उनको उनके बुरे कामों की सजा नहीं देगा। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।

परमेश्वर का प्रेम ऐसा नहीं है। परमेश्वर प्रेम करता है सच है परंतु परमेश्वर बुराई को क्षमा नहीं करता। जैसा मैंने पहले भी कहा था कि हमने बहुत बार सुना है कि परमेश्वर आपको वैसा ही स्वीकार करेगा जैसे आप है क्योंकि परमेश्वर प्रेम करता है। यह एक बहुत ही बड़ी गलत धारणा है ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।

परमेश्वर का प्रेम पवित्र है और वह कभी भी बुराई या पाप को स्वीकार नहीं करता। बल्कि परमेश्वर हमे यीशु मसीह में स्वीकार करता है। और उसी पवित्र प्रेम के कारण परमेश्वर हमे पवित्रता पर चलने के लिए हमारी ताड़ना भी करता है ताकि हम पवित्रता के मार्ग पर चल सके। और मसीह का बलिदान हम पर परमेश्वर के प्रेम को स्पष्ट रूप से जाहिर करता है।

परमेश्वर का प्रेम बलिदान वाला प्रेम हैं

परमेश्वर का प्रेम बलिदान वाला प्रेम है (यूहन्ना 3:1615:13रोमियों 5:8गलातियों 2:20इफिसियों 5:251यूहन्ना 4:9-10) हम अपनी हालत को जानते है। हम कितने काबिल है कि कोई हम से ऐसा प्रेम करे कि हमारे बदले में अपनी जान दे दे? कदापि नहीं।

परंतु परमेश्वर ने अनंत काल में ही अपने पुत्र को हमारे पापों के बदले में कुर्बान होने के लिए दे दिया था। परमेश्वर का प्रेम अद्भुत है। जो हमारी समझ से भी परे है। और वही परमेश्वर का प्रेम हमे विवश करता है कि हम उसकी आराधना करें।

परमेश्वर का प्रेम उसके चुने हुओं के लिए

परमेश्वर का प्रेम चुने हुए लोगों के लिए ही है। उदहारण के लिए जब हम शादी करते है तो हम एक व्यक्ति को अपना जीवन साथी होने के लिए चुनते है जो सबसे अलग और सबसे ऊपर है। हम एक चुनाव करते है। उसी तरह से परमेश्वर का प्रेम भी चुनाव वाला प्रेम है। परमेश्वर ने कुछ को चुना है कुछ को नहीं (रोमियों 9:135:89:6-16मलाकी 1:2-3व्यवस्थविवरण 10:157:7-8यूहन्ना 15:16परमेश्वर ने अपने ज्ञान में लोगों को चुना है।

जिन पर उसने अपने प्रेम को प्रगट किया है। अब ये परमेश्वर पर निर्भर करता है। क्योंकि हमारी दशा ऐसी नहीं थी कि परमेश्वर हम से प्रेम करता, बजाए इसके हम पर परमेश्वर का क्रोध बना हुआ था जो हमारे पापों के कारण हम पर था। पर इसके बावजूद भी परमेश्वर ने हम से प्रेम किया।

जब आप इन ऊपर कीआयतों को पढ़ेंगे तो आपको इस बात का एहसास हो जाएगा कि हम कैसे है और परमेश्वर ने हम से किस तरह से प्रेम किया है। परमेश्वर ने अपने अनुग्रह के प्रभुत्व में हमे चुना कि वह हमसे प्रेम करे। परमेश्वर का प्रेम परमेश्वर के गुणों में से एक है और ये दूसरे गुणों के साथ संबंध रखता है।  याद रखे कि परमेश्वर का प्रेम भी परमेश्वर का एक गुण है।

तो आज अवसर है कि आप अपने पापों को परमेश्वर के पुत्र के सामने अंगीकार करे और यीशु मसीह को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करे। विश्वास करें कि यीशु मसीह के बलिदान के द्वारा ही आप अपने सारे पापों से क्षमा प्राप्त कर सकते हैं। इस बात पर विश्वास करे कि यीशु मसीह मेरे ही पापों के लिए क्रूस पर कुर्बान हुया और कब्र में रखा गया। और परमेश्वर ने उसे मुरदों में से तीसरे दिन जीवित किया। ये ही परमेश्वर का प्रेम हैं जो आपको परमेश्वर के पास  ले आता हैं।

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