
परमेश्वर का अस्तित्व का अर्थ क्या हैं?
परमेश्वर का अस्तित्व के बारे में समझना और उसके बारे में समझाना कोई आसान बात नहीं है पर ये कोई मुश्किल भी नहीं है। एक परमेश्वर को चाहने वाला व्यक्ति और परमेश्वर को जानने वाला व्यक्ति परमेश्वर के विषय में जरूर जानेगा।
लेकिन उससे पहले आपको ये जानने कि जरूरत है कि अस्तित्व का अर्थ क्या होता हैं अस्तित्व का का मतलब है कि किसी चीज का “होना“। किसी व्यक्ति या वस्तु का होना ही उसके अस्तित्व के होने का प्रमाण हैं।
हम सब मानवजाति से है सब में एक खास बात ये है कि हम हमेशा अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए किसी ना किसी पर या किसी चीज पर निर्भर रहते है। जब हम पैदा होते है तो मां बाप पर, बड़े होते है तो दोस्तों और फिर अपने जीवन साथी पर, और अंत में बुढ़ापे में अपने लकड़ी के डंडे और बच्चों पर जो कि आज कल कम ही होता निर्भर रहते हैं।
अगर सामाजिक तौर पर देखा जाये तो हम सब सबसे ज्यादा निर्भर अपने मोबाईल फोन पर है । परंतु परमेश्वर ने हमारी निर्भता को देखते हुए कुछ चीज़े हमेशा के लिए मुफ़्त मे दे दी है जिनकी हम रती भर भी परवाह नहीं करते जैसे हवा, पानी, सूरज की गर्मी, इत्यादि। ये सब मैं इसलिए बता रहा हूँ कि हम जान सके हम अपने जीवन को जीने के लिए कितने ज्यादा निर्भर है ।
ये सब चीजें हमें हमारे अस्तित्व में बने रहने बहुत ही जरूरी हैं। परंतु परमेश्वर का अस्तित्व किसी वस्तु से नहीं हैं जैसे हम अपने अस्तित्व को बनाए रखने के लिए कोशिश करते रहते हैं । पर परमेश्वर का अस्तित्व खुद परमेश्वर से ही हैं
परंतु कभी आपने विचार किया है कि परमेश्वर जिसकी हम आराधना करते है। क्या वो भी किसी पर निर्भर है? क्या उसको भी कुछ चाहिये? क्योंकि हमारे इस समाज में बहुत सारे ऐसे ही है। जो सोचते है कि परमेश्वर उन पर निर्भर है। ऐसे ही बहुत से बहुत बार परमेश्वर को इंसान समझने की गलती कर देते है।
एक बात है जो मैं कहना चाहता हूँ और उम्मीद करता हूँ कि आप इससे सहमत भी होंगे। और शायद ये आपको परमेश्वर के स्वयं अस्तित्व के बारे में थोड़ा सोचने में सहायता भी करे।
परमेश्वर, परमेश्वर है चाहे आप उस पर यकीन करे या ना करे। उसको परमेश्वर होने के लिए आपे के यकीन करने की जरूरत नहीं है।
जैसा कि मैंने ऊपर कहा है और ये सही भी है। वो हम नहीं है जो परमेश्वर को परमेश्वर बनाते है। परमेश्वर हमेशा से स्वयं अस्तित्व में है। पर हमारा अस्तित्व परमेश्वर की वजह से है। जैसा कि इस लेख का विषय आप ऊपर पढ़ ही चुके है तो अब, परमेश्वर के स्वयं अस्तित्व का अर्थ क्या है। बाइबल के धर्मविज्ञानी इसे कुछ ऐसे पेश करते है।
परमेश्वर के अस्तित्व का अर्थ है कि परमेश्वर खुद के लिए खुद ही पर्याप्त है। वो किसी वी चीज में बंधा हुआ नहीं है। इसके इलावा परमेश्वर समय से बाहर और समय का भी परमेश्वर है। और अपने उदेश्य को पूरा करने के लिए आजाद है। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो परमेश्वर स्वयं पर्याप्त है। वह किसी पर भी निर्भर नहीं है। और परमेश्वर समय के घेरे से बाहर है।

परमेश्वर का अस्तित्व का होना किसी पर निर्भर नहीं हैं
परमेश्वर का अस्तित्व ही परमेश्वर के सारे गुणों को शामिल करता है। परमेश्वर का प्रेम, अनंतता, उसका ना बदलने वाला स्वभाव और बाकी सारे गुण परमेश्वर के अस्तित्व से सबंध रखते है। परमेश्वर की कोई शुरुआत और अंत नहीं है। परमेश्वर रचने वाला है और हम सब उसकी रचना है।
हम सब की शुरुआत और अंत परमेश्वर ही है। हम सब परमेश्वर पर निर्भर रहते है। ( प्रेरितों 17:28 )। परमेश्वर को किसी भी चीज की जरूरत नहीं है। कि हम उसे दे, हम कुछ भी परमेश्वर को नहीं दे सकते क्योंकि परमेश्वर ने सब कुछ बनाया और रचा है सब कुछ उसका ही है।
परमेश्वर को कुछ देना मतलब ऐसा है जैसे आप मेरे पैसे मुझे ही लौटा रहे है। जो चीज पहले से ही मेरी है उसे आप मुझे कैसे लौटा सकते है। ( प्रेरितों 17:25; भजन 50:10-11). परमेश्वर ही सब वस्तुओं का स्रोत है। परमेश्वर को छोड़ और कोई भी हमारे जीवन का स्रोत नहीं है (यशयाह 46:9)।
परमेश्वर का अस्तित्व खुद परमेश्वर से हैं
हम बाइबल की शुरुआत से ही इसे देख सकते है उत्पति 1:1 आदि में परमेश्वर ने आकाश और जमीन को बनाया। परमेशर ही है जिसने जमीन और आसमान को बनाया और ये सब परमेश्वर की रचना है और जब हम आगे बढ़ते है तो पाते है कि परमेश्वर ने हमे यानि के मनुष्य को अपने स्वरूप और समानता में बनाया।
हमारी रचना भी परमेश्वर ने ही की है। हम सब का स्रोत वही है। जैसा कि बहुत से बुद्धिमान लोग कहते है कि ये सब कुछ “कुछ नही” से आया है। कुछ समय के लिए विचार करे कि कुछ नहीं से कुछ कैसे आ सकता है।
अगर परमेश्वर का खुद का ही कोई अस्तित्व नहीं है तो वो कैसे मानवजाति को उसके अस्तित्व में ला सकता हैं। हम सब का अस्तित्व में आना किसी ना किसी कारण से है और वो कारण परमेश्वर को छोड़ कर कुछ भी नहीं ही सकता है। तो हमको बिग बांग सिद्धांत को नकार सकते हैं जो कहते हैं कि ये सारा संसार एक बड़े विस्फोट से आया हैं। ऐसा बिल्कुल भी नहीं हैं।
एक और बात है जो मैं चाहता हूँ कि आप परमेश्वर का अस्तित्व के बारे में जाने। परमेश्वर का अस्तित्व में होंने के लिए किसी भी कारण की जरूरत नहीं है। परमेश्वर का अस्तित्व आनादिकाल से ही मौजूद है( भजन 90:2)।
परमेश्वर का अस्तित्व तब नहीं आया जब आपने उसको जाना बल्कि वो तो बहुत पहले से ही हैं। यहाँ तक कि संसार की रचना से पहले ही परमेश्वर का अस्तित्व हैं।परमेश्वर ने जब खुद को मूसा पर जलती झाड़ी में प्रगट किया था तब मूसा ने पूछा परमेश्वर के नाम के बारे में पूछा था। उस समय परमेश्वर ने मूसा को उत्तर दिया था “मैं जो हूँ सो हूँ” (निर्गमन 3:14)। जो फिर से परमेश्वर का स्वयं अस्तित्व के बारे में जो था और जो हमेशा रहेगा। परमेश्वर का स्वयं अस्तित्व परमेश्वर की स्वतंत्रता से संबंध रखता है। परमेश्वर खुद में पूर्ण है उन्हे किसी भी चीज कि अवश्यकता नहीं है खुद को पूर्ण करने के लिए।
एक बात जो हमे समझने की जरूरत है कि परमेश्वर ने हमे इसलिए नहीं बनाया। कि परमेश्वर खुद को अकेला महसूस कर रहा था या परमेश्वर को हमारी जरूरत थी। ऐसा बिल्कुल भी नहीं है। (रोमियों 11:34-35) परमेश्वर को किसी ने भी मजबूर नहीं किया और ना ही कोई कर सकता है। यहाँ तक की हमारी आज्ञाकारिता से भी परमेश्वर को कोई फायदा नहीं होता (लुका 17:10). पर इसका अर्थ ये नहीं हमे उसको आज्ञा को नहीं मानना। ये सब परमेश्वर ने अपनी सिद्ध इच्छा से किया है। ( इफिसियों 1:5,11)

परमेश्वर का अस्तित्व सदा काल से हैं
1 तीमुथियुस 6:16 में पौलुस बताता हैं परमेश्वर का अस्तित्व सदा काल से है। और ऐसे परमेश्वर ने खुद को खुद की इच्छा के अनुसार हम पर प्रगट किया है। सिर्फ वो हो है जो आदर के योग्य है। सिर्फ परमेश्वर ही आराधना के योग्य है। ऐसे परमेश्वर को हम अपनी समझ से नहीं ढूंढ सकते क्योंकि हमारी समझ सीमित है।
परमेश्वर ने खुद को हम पर इस तरह से प्रगट किया है। कि वह हमारे समझ के स्तर पर आ कर, जितना हम उसे समझ सकते है। उतना ही हमें बताया। ताकि हम परमेश्वर के अस्तित्व के बारे जान सके। और बेकार की मूर्तियाँ बना कर ना घूमें। सच में ऐसे महान परमेश्वर को जानना अद्भुत है। जैसा कि हमने पहले देखा था कि परमेश्वर आत्मा है तो परमेशवे को हम अपनई समझ से नहीं जान सकते।
परमेश्वर को जानने के लिए आपको भी आत्मिक होना पड़ेगा। पर मानवजाति पाप के कारण आत्मिक नहीं है। वो बहुत ही घोर अंधकार में है। सिर्फ मसीह यीशु को अपना परमेश्वर उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करके ही आप परमेश्वर को जान सकते है। क्योंकि सिर्फ यीशु मसीह ही है जिसके द्वारा हमारी पिता परमेश्वर के पास पहुँच होती है।
परमेश्वर का अस्तित्व हमे इस बात का निश्चय दिलाता है कि हम उस पर निर्भर रह सकते है। परमेश्वर ने जो सोचा है वो पूरा हो कर ही रहेगा उसको कोई भी टाल नहीं सकता।( यशयाह 46:10)
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