क्या आप परमेश्वर की आत्मिकता को जानना चाहेंगे? परमेश्वर के गुण भाग – 2 Spirituality of God-hindi/ Parmeshwar ki Aatmikta

परमेश्वर की आत्मिकता- एक परिचय

परमेश्वर की आत्मिकता, परमेश्वर ने हमको बनाया हैं और हम सब के अंदर एक आत्मिक लगन परमेश्वर ने डाली है। इसलिए इंसान भगवान को ढूँढता हैं कभी पहाड़ों पर, कभी जमीन पर, कभी पानी में, कभी आसमान में। इस तरह से इंसान ने अपने लिए बहुत सारे भगवान बना लिया हैं।

परंतु एक बात जो मैं आज आप सबको बताने जा रहा हूँ। वो है परमेश्वर की आत्मिकता के बारे में। हम अपनी आत्मिकता के बारे बात नहीं करेंगे बल्कि आज मैं आपको परमेश्वर की आत्मिकता के बार में बताऊँगा। परमेश्वर की आत्मिकता भीपरमेश्वर के गुणों मे से एक गुण हैं।

जब कभी भी आप आत्मिक शब्द सुनते है तो बहुत सारे संत, महानआत्मा, कुछ महान पुरुष या फिर कोई परमेश्वर का महान जन जैसे, बिली ग्राहम, बख्त सिंह, साधु सुन्दर सिंह प्रभु के लोग हमारे मन में आते है। और हम में से बहुत से उनके जैसा बनाना भी चाहते है। क्योंकि वो बहुत ही जायद आत्मिक लोग थे।

उनकी आत्मिकता का स्तर आपके आत्मिक स्तर से बहुत ही ऊंचा है। आत्मिकता को आप तभी जान पाएंगे और समझ पाएंगे और आप आत्मिक बन पाएंगे जब आपको परमेश्वर की आत्मिकता के बारे में ज्ञान होगा। तो मेरा ये लेख आपको यही बताने के लिए हैं।

परमेश्वर की आत्मिकता

परमेश्वर की आत्मिकता क्या हैं ?

अब हम आते हैं परमेश्वर की आत्मिकता के बारे में। परमेश्वर की आत्मिकता क्या है। मतलब ये थोड़ा सुनने में अजीब लगे। पर जैसा मैं पहले भी बताया है कि ये भी परमेश्वर के गुणों में से के है। और साथ ही साथ ये हमारे आत्मिक जीवन से संबंध रखता है।

जब हम परमेश्वर की आत्मिकता की बात करते है तो ये जैसा हम अपनी आत्मिकता के बारे में समझते हैं वैसा बिल्कुल भी नहीं हैं हम अपनी आत्मिकता को अपने प्रार्थना के जीवन, वचन के ज्ञान, सभा की उपस्थिति, चर्च के कामों में आपकी सहभागिता से मापते या जाँचते है। पर परमेश्वर की आत्मिकताxx वैसी आत्मिकता नहीं है।

परमेश्वर की आत्मिकता का अर्थ का बिल्कुल अलग है । इसका संबंध परमेश्वर के शरीर से हैं। ना कि परमेश्वर की आत्मा से। क्योंकि पवित्रशास्त्र में परमेश्वर के शरीर के बारे में कुछ भी नहीं लिखा। इसलिए आपको अपने दिमाग से ये विचार निकालना होगा। कि परमेश्वर का कोई शरीर हैं

परमेश्वर तत्वहीन या अभौतिक, अदृश्य और अनन्त है। जबकि मनुष्य भौतिक, दृश्य और सीमित है।

तो जो ये लाइन ऊपर है वो परमेश्वर की आत्मिकता के विषय में लिखी गई हैं। इस एक ही लाइन में हम परमेश्वर की आत्मिकता के बारे में जान सकते हैं। ये लाइन जो आपके सामने हैं। इसको बाइबल के विद्वानों ने बहुत ही समझ और बुझ के साथ लिखा हैं तो हम इसको को ही अपना आधार लेते हुए आगे बढ़ेंगे।  ताकि हम परमेश्वर के बारे अच्छे से समझ सके। क्योंकि ये हमारे आत्मिक जीवन के लिए और परमेश्वर के बारे में जानने के लिए बहुत बहुत ही महत्वपूर्ण है।

परमेश्वर की आत्मिकता

परमेश्वर तत्वहीन या अभौतिक हैं

परमेश्वर का कोई शरीर नहीं है। यानि के परमेश्वर तत्वहीन है। तत्वहीन यानि के परमेश्वर किसी तत्व में नहीं हैं। परमेश्वर के पास हमारे समान शरीर नहीं हैं। तो आपको इस बात को बोलना बंद करना पड़ेगा कि परमेश्वर भी तो हमारे समान हैं। बिल्कुल भी। परमेश्वर हमारे समान नहीं है बल्कि हमारे जीवन के सब पहलू परमेश्वर के सामने हैं परतू परमेश्वर के सारे पहलू हमारे सामने नही हैं।  अब हम बाइबल से इसके बारे में थोड़ा सा विचार करेंगे। ताकि आपको अच्छे से समझ में आ सके।

बाइबल में से हम सबसे ज्यादा प्रचलित आयत को देखेंगे है जिसको आपने बहुत बार पढ़ा और सुन भी होगा। “ परमेश्‍वर आत्मा है, और अवश्य है कि उसकी आराधना करनेवाले आत्मा और सच्‍चाई से आराधना करें।” यूहन्ना 4:24। जी हाँ परमेश्वर आत्मा   है। इस आयात में साफ रीति से लिखा है कि परमेश्वर आत्मा हैं।

परमेश्वर का कोई भी हाथ, पैर या हमारे जैसा शरीर नहीं है। लुका 24:39 यीशु मसीह ने खुद कहा कि आत्मा के हड्डी और मांस नहीं होता। जिसका अर्थ है कि परमेश्वर अदृश्य है और इसके साथ ही अनन्त भी है। पर अब एक सवाल उठता है कि बाइबल में बहुत सारी जगह पर हमे पाते है कि यहोवा ने अपने हाथ के द्वारा उनकी अगुवाई की, यहोवा की आँखें सबको देखती हैं, ऐसे बहुत तरह के वाक्यों को हम बाइबल में बहुत सारी जगह पर पाते  है।

अब हम बाइबल के द्वारा बहुत सारी जगह से देख चुके हैं। कि परमेश्वर का कोई भी भौतिक शरीर नहीं हैं। पर फिर भी बाइबल हमे इस तरह से क्यों बताती है। जैसा हमनें ऊपर देखा हैं।

इसको समझने के लिए आपको इस बात को समझना होगा कि बाइबल मनुष्य कि समझ के अनुसार लिखी गई है। जैसा कि हम समझ सके। जैसे हम किसी छोटे बच्चे के साथ उसकी भाषा यर उसके समझ के स्तर पर बात करते है। वैसे ही परमेश्वर ने अपने आप को हम पर इस तरह से जाहिर किया है कि हम परमेश्वर के बारे में समझ सके। इसको अंतरोमोर्फिक ( मनुष्य कि भाषा) भाषा कहते है।

अगर हम परमेश्वर को शरीर में लाते है तो फिर हम बाइबल के विरुद्ध हो जाएंगे। क्योंकि हम परमेश्वर को किसी शरीर में सीमित नहीं कर सकते।  यही कारण हैं कि परमेश्वर ने मूसा को 10 आज्ञाओं में सबसे पहली आज्ञा ये दी थी तू कोई मूर्त खोद का ना बनाना। क्योंकि परमेश्वर का कोई भी शरीर नहीं हैं। तो इस बात को याद रखना बहुत ही जरूरी हैं

परमेश्वर की आत्मिकता

परमेश्वर अदृश्य हैं

हमने ऊपर पढ़ा की परमेश्वर का कोई शरीर नहीं है जिसका मतलब ये हुआ कि परमेश्वर को देखा नहीं जा सकता । ऐसा ही हमें यहूना रचित सुसमाचार में यूहना प्रेरित बताता है जिसे में  यूहन्ना 1:18 में पढ़ते हैं कि किसी ने कभी भी परमेश्वर को नहीं देखा। यहाँ पर बाइबल साफ और स्पष्ट तौर पर बताती है। कि परमेश्वर को देखा नहीं जा सकता। पौलुस प्रेरित भी इसी बात को कहता है कि परमेश्वर अदृश्य है।

यूहना के सुसमाचार के इसी आयात में हम यूहना मसीह यीशु ही है जिसने उसको हम पर प्रगट किया है। इसीलिए यीशु मसीह इस दुनिया में शरीर धारण करके आये। और अपने जीवन के द्वारा यीशु मसीह ने परमेश्वर के गुणों को हम पर प्रगट किया। और हम परमेश्वर के बारे में जान सके हैं।  क्योंकि ऐसा व्यक्ति साफ तौर पर ही झूठ बोल रहा हैं। ऐसे व्यक्ति का कोई भी ईमान नहीं हैं

अब सबसे महत्वपूर्ण और सबसे अद्भुत बात जो परमेश्वर के बारे में हैं। परमेश्वर अदृश्य तो है ही पर वो हमारे साथ हमेशा रहता है। परंतु हम उसे देख नहीं सकते। इससे ये बात बिल्कुल ही साफ हो जाती है कि अगर आज कोई इस बात का दावा करता है और कहता है कि उसने परमेश्वर का को देखा है तो हमे उस व्यक्ति से सावधान रहना है। ।

क्योंकि बाइबल हमे ऐसा सिखाती  कि परमेश्वर को कोई भी नहीं देख सकता लेकिन परमेश्वर ने खुद को बहुत बार अपनी महिमा के द्वारा या अपने तेज के रूप में प्रगट किया है। 1 तीमुथियुस 6:15-16; कुलुस्सियों 1:15; 1 तीमुथियुस1:17 लैव्यव्यवस्था 9:6; निर्गमन;16:10; निर्गमन 40:34; 2 इतिहास 5:14 1राजाओं 8:10-12; यहेजकेल43:2; निर्गमन 33:18-22

हम बहुत बार बाइबल में यहोवा का दूत करके मिलता है। बहुत सारे मसीह विश्वासी विद्वान ये मानते है वह यहोवाह का दूत स्वय यीशु मसीह देहधारण से पहले है। जिसको थिऑफनी के नाम से भी जाना जाता है।( उत्पत्ति 19:1; उत्पत्ति 19:21 ; उत्पत्ति 31:11; उत्पत्ति 31:13 ; निर्गमन 3:2-4; न्यायियों 2:1-5 ; न्यायियों 6:11-12 ; न्यायियों 13:13-17 ; जकर्याह 3:1-6 ; 12:8 )। इस पर थोड़ा सा समय देते हुए। कि इन सब ने मनुष्य का रूप देखा था वो सच में मनुष्य नहीं था।

परमेश्वर असीमित हैं

अब तक हम देख चुके हैं कि परमेश्वर का कोई शरीर नहीं है और परमेश्वर अदृश्य है। जिसका साफ सा अर्थ हैं कि परमेश्वर सीमित नहीं है दूसरे शब्दों में कहा जाए परमेश्वर की कोई सीमा नहीं हैं। जैसे हम अपने शरीर में सीमित है यानि के हम एक समय में एक ही जगह पर हो सकते है। परंतु परमेश्वर ऐसा नहीं है। परमेश्वर हर समय हर जगह पर मौजूद रहता है और हमेश रहेगा।

मैं आपको यहाँ पर एक बात बताता हूँ जिस पर ध्यान देने कि जरूरत है कि हर चीज में या वस्तु में नहीं परमेश्वर नहीं है। परमेश्वर के असीमित है। पर हर चीज में नहीं बल्कि हर जगह पर है। इसी तरह से परमेश्वर के असीम होना परमेश्वर के दूसरे गुणों को भी असीम बना देता हैं उधारण के लिए परमेश्वर असीम हैं तो परमेश्वर का प्रेम असीमित है। परमेश्वर असीम हैं तो परमेश्वर की पवित्रता असीमित है। परमेश्वर असीम हैं तो परमेश्वर की सामर्थ असीमित है। ऐसे महान परमेश्वर मे खुद को हम मनुष्य पर जाहिर किया है।

अपने आप को अपने पुत्र यीशु मसीह के द्वारा हम पर जाहिर किया। सच में ऐसा परमेश्वर को जानना और उसकी आराधना करना सच में हमारे लिए सोभाग्य की बात है।

मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको इस लेख से परमेश्वर के गुणों के बारे में कुछ सीखने को मिला होगा । आप अपने अध्ययन को जारी रख सकते है और ज्यादा परमेशवर  के बारे में जान सकते है।

अगर आपका कोई सवाल या सुझाव है तो आप नीचे कमेन्ट कर सकते है।

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