परिचय
आज हम **पवित्र आत्मा का फल मेल** पर विचार करेंगे | और बाइबल से इसको हम देखेंगे | पिछले लेखो में आप पवित्र आत्मा के फल प्रेमऔर आनंद के बारे में देख चुके हैं | आज हम पवित्र आत्मा के फल मेल के विषय में देखेंगे कि बाइबिल हमें क्या सिखाती है ? और आत्मा का फल मेल के बारे में प्रेरित पौलुस अपने पाठकों को कौन सी बातें कहना चाहता है ? इन सब चीजों को आप आज इस लेख में पढ़ सकते है।
पवित्र आत्मा का फल, मेल क्या है?
हमारे लिए इस बात को समझना बहुत जरूरी है कि पवित्र आत्मा का फल मेल , का अर्थ क्या हैं? मेल शब्द का हमें हिंदी में आसानी के साथ अर्थ मिल जाता हैं। इसे हम इस तरह से समझते हैं कि एक दूसरे के साथ एक अच्छा संबंध होना , मेल कहलाता है ।

जैसे मेलजोल बढ़ाने के लिए हम एक दूसरे को अपने घर-परिवार में बुलाते हैं; समारोह में शामिल करते हैं; ताकि उनके साथ हमारा मेलजोल बढ़ सके | इस तरह से हम मेल को समझते हैं | परंतु इंग्लिश में मेल के लिए जो शब्द का इस्तेमाल किया गया है वो हैं PEACE; जिसको हमारी हिंदी भाषा में दो शब्दों के साथ अनुवाद किया गया है | शांति और मेल। हमारी हिंदी बाइबल में 2 शब्द है मेल और शांति, परंतु यूनानी भाषा में एक ही शब्द मिलता है जिसको मेल और शांति के लिए इस्तेमाल किया गया है और वह है एरेने ।
बाइबल हमे जब पवित्र आत्मा के फल मेल या शांति के बारे में बताती हैं; तो उसका अर्थ है – आत्मा का एक बिलकुल स्थिर अवस्था में होना । यह शारीरिक शांति वाली स्थिति नही है | पवित्र आत्मा के फल को सिर्फ पवित्र आत्मा से परिपूर्ण व्यक्ति ही समझ सकता है ; जो व्यक्ति आत्मा से परिपूर्ण नहीं है, वह इस बात को नहीं समझ सकता।
पवित्र आत्मा का फल मेल या शांति अपने आप में सिद्ध और पूर्ण है; इसमें किसी भी प्रकार का कोई भी भय नहीं है;यह बेचैनी से दूर है। क्योंकि यह परमेश्वर की शांति है और यह परमेश्वर ही से आती है| परमेश्वर ही इस शांति का स्रोत है । जिसे आप अभी थोड़ी देर में और सीखेंगे जैसा किबाइबल हमें बताती है।
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रोमियो 3:23 में प्रेरित पौलुस कहता है कि सब ने गुनाह किया है और सब परमेश्वर की महिमा से दूर है। इफिसियों में पौलुस कहता है कि सब अपराधी और पाप की दशा में मरे हुए हैं | और वह परमेश्वर को प्राप्त नहीं कर सकते।
इसलिए सबसे पहले परमेश्वर के साथ मेल मिलाप होना बेहद जरूरी है | परमेश्वर और मानवजाति के बीच शांति स्थापित होना बहुत ही जरुरी हैं|
रोमियों 4:24-25 में प्रेरित पौलुस कहता है, प्रभु यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा हम धर्मी ठहरे | रोमियों 5:1 यीशु मसीह के द्वारा अब हम परमेश्वर के साथ शांति में हैं। अगर परमेश्वर ही मानव जाति के खिलाफ खड़ा हो जाए तो फिर कौन बच सकता है ? और हम में से कोई भी इस काबिल नहीं हैं; कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप कर सके। क्योंकि परमेश्वर न्यायी परमेश्वर है और बाकी सब पापी हैं | **परमेश्वर** पाप को बिलकुल भी बर्दाश्त नही करता हैं।
इसलिए परमेश्वर ने ही खुद हमारे साथ मेल मिलाप करने के लिए अपने बेटे मसीह यीशु को इस जगत में भेजा | जो व्यवस्था के अधीन जन्मा , ताकि हमें जो पाप के अधीन है आजाद कर दें | और उसके लिए यीशु मसीह ने पूरी कीमत चुकाई और वह कीमत यीशु मसीह का पवित्र लहू है| जो प्रभु यीशु मसीह ने बहाया और उनका मुर्दों में जीवित होना इस बात का प्रमाण है कि **परमेश्वर** ने प्रभु यीशु मसीह के बलिदान को स्वीकार किया है |
इसीलिए पौलुस कहता है कि यीशु मसीह के जी उठने के द्वारा हम भी धर्मी ठहरे| प्रभु यीशु मसीह ने मानवजाति और परमेश्वर के बीच में मेल मिलाप करवाया; शांति स्थापित करवाई | आज जो भी प्रभु यीशु मसीह पर विश्वास करता है वह उस मेल मिलाप में शामिल हो जाता है | और जिनका परमेश्वर के साथ मेल मिलाप है, परमेश्वर के साथ शांति है, उनके अंदर पवित्र आत्मा का फल मेल या शांति है|
पवित्र आत्मा का फल मेल या शांति को आप अपने जीवन की कठिन परिस्थितियों में; बीमारियों में; और जीवन की अलग अलग परिस्थितियों में महसूस करते हैं | क्योंकि यह परमेश्वर की शांति है; परमेश्वर इस शांति की रक्षा करता है; परमेश्वर हमारे अंदर की उस शांति को बचाने वाला है | परमेश्वर हमें संभालने वाला है | परमेश्वर हमारा और मेरा परमेश्वर है | यह शांति और मेल मिलाप वाला मन परमेश्वर की ओर से आता है | इसीलिए कोई भी बाहरी वस्तु या स्थिति या कोई और बात इस शांति को या इस मेल मिलाप वाले मन को ख़त्म नही कर सकता हैं; प्रभावित नहीं कर सकता ।
इफिसियों 6:15 पौलुस बताता है कि मेल के सुसमाचार की जूतियां पहन कर तैयार होन जाओ। जो सुसमाचार हमें दिया गया है, वह चंगाई का, या गरीबी को दूर करने वाला, अमीर बनाने वाला नहीं | बल्कि परमेश्वर के साथ मेल मिलाप करवाने वाला सुसमाचार है | यही सुसमाचार का प्रचार हमें करना है | यह सुसमाचार यीशु मसीह के बलिदान के ऊपर केंद्रित है| जिसके वजह से एक पापी इंसान परमेश्वर तक आ सका | आज वह सुसमाचार आपको और मुझे दिया गया है और अब यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इसे दूसरों तक भी पहुचाये।
इसको आप एक उदाहरण से भी समझ सकते हैं जो हमें बाइबिल में ही मिलता है | मरकुस 4:35 | यहां पर प्रभु यीशु मसीह ने अपने चेलों से कहा, “ कि आओ पार चले, और वह सब नाव में सवार होकर बाहर जाने लगे | तभी झील में तूफान आना शुरू हो गया | प्रभु यीशु मसीह उनकी कश्ती के निचले भाग में सो रहे थे | चेलों ने जाकर प्रभु यीशु मसीह से कहा, “कि प्रभु क्या तुझे कुछ भी चिंता नहीं, कि हम ना नाश हुए जाते हैं |
अब एक सवाल यहां पर है अगर कश्ती में पानी भरता | तो सबसे पहले निचला हिस्सा भरता | जहां पर यीशु मसीह सो रहा था | परंतु चेलों को चिंता यह सता रही थी कि हम विनाश हो जाएंगे | कभी-कभी हमारे जीवन में भी ऐसे ही परिस्थिति आती हैं| प्रभु यीशु मसीह हमारे जीवन रूपी कश्ती में तो है परंतु हम भूल जाते हैं कि वह हमारे साथ कश्ती में है | वहां पर हम यीशु मसीह के जीवन में उस शांति को देख सकते हैं | जो पवित्र आत्मा आपको और मुझे देता है | हाल्लेलुयाह | इसी शांति को देने का वायदा प्रभु ने उसे किया है। जो किसी भी परिस्थिति में टूटने वाली नही हैं|
पवित्र आत्मा का फल, मेल एक आज्ञा हैं।
कुलुस्सियों 3:15 में पौलुस कहता है कि मसीह की शांति को तुम्हारे हृदय पर शासन करने दो | यह एक आज्ञा है जो परमेश्वर ने अपने दास के द्वारा हमें दी | कुलुस्सियों 3:16 आयत में कहता है परमेश्वर के वचन को अपने हृदय में अधिकाई से बसने दो | जितना ज्यादा परमेश्वर के वचन को अपने अंदर जाने देंगे उतना ही ज्यादा परमेश्वर की शांति आप में आती रहेगी | क्योंकि परमेश्वर के वचन से ही हम इन बातों को समझ सकते हैं|
1 थिस्स 5:13 में प्रेरित पौलुस कहता है कि आपस में शांति या मेल के साथ रहो | और एक उद्धार पाया हुआ जन ही शांति और मेल के साथ रह सकता है क्योंकि पवित्र आत्मा का फल मेल उसके अंदर हैं | जो पवित्र आत्मा ने उसे दिया है | इसीलिए उद्धार बेहद जरूरी है | अगर आप चाहते हैं कि पवित्र आत्मा का फल मेल आपके अंदर हो तो सबसे पहले अपने गुनाहों से क्षमा प्राप्त कीजिए | यीशु मसीह को अपने उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार कीजिए।
रोमियो 12:18 प्रेरित पौलुस कहता है सबके साथ मेल मिलाप से रहो। यहां पर सिर्फ विश्वास करने वालों के साथ ही नहीं; परंतु सब मनुष्य के साथ जितना हो सके | उनके साथ मेल मिलाप के साथ रहना है | यानी कि हमें संसार में अपने जीवन को इस तरह से जीना है कि हम सबके साथ शांति के साथ रहे | लड़ाई झगड़ा वाले स्वभाव से नही बिल्कुल शांति के साथ।
निष्कर्ष
प्रभु यीशु मसीह ने पवित्र आत्मा का फल मेल या शांति के बारे में हमें सिर्फ बताया ही नही, बल्कि अपने जीवन में जी कर दिखाया | यीशु मसीह ही उसे शांति का या मेल का स्रोत है। प्रभु यीशु मसीह ने कहा; परमेश्वर मेरे नाम से पवित्र आत्मा को भेजेगा। पवित्र आत्मा का फल मेल हमारे अंदर है|
युहन्ना 14:27 प्रभु यीशु मसीह ने कहा, कि मैं तुम्हें अपनी शांति देता हूं | ऐसी शांति नही जैसी संसार देता है | प्रभु यीशु मसीह ने हमे शांति दी है; प्रभु यीशु मसीह ने अपना मेल वाला आत्मा हमें दिया है | अभी हमारा मन भयभीत नहीं होगा | ना घबराएगा और न नही डरेगा | क्योंकि प्रभु ने इस बात को कहा है कि तुम्हारा मन ना घबराए और ना डरे |
प्रभु ने अपनी उस शांति को, पवित्र आत्मा की शांति को हमारे अंदर भी दिया है | और आज हम उसी शांति में बने हैं | जब प्रभु यीशु मसीह पर दोष लगाए गए; गालियां दी गई; कपड़ों को फाड़ दिया गया; भाले से छेद दिया गया | इतना सब होने पर भी प्रभु यीशु मसीह बिल्कुल शांत अवस्था में थे। वही शांति और मेल आज एक मसीही विश्वासी के अंदर पवित्र आत्मा के द्वारा दिया गया है|
रोमियो 14:17 परमेश्वर का राज्य खाना पीना नहीं परंतु धार्मिकता, शांति और आनंद है जो पवित्र आत्मा से आता है | यह शांति पवित्र आत्मा से आती है और इस बात को आप ऊपर बहुत बार देख पढ़ चुके हैं | आज संसार की परिस्थितियां कैसे भी क्यों ना हो जाए | यदि आप एक सच्चे उद्धार पाए हुए मसीही हैं तो आपके अंदर पवित्र आत्मा का फल मेल या शांति है | आप अपने शत्रुओं से मेल करने का प्रयास करेंगे | अपने सताने वालों के लिए प्रार्थना करेंगे | परंतु यह तभी होगा जब परमेश्वर का आत्मा आप में होगा | एक सवाल के साथ आपको छोड़ना चाहता हूं क्या आपके पास परमेश्वर का आत्मा है ?यदि हां तो उन फलों को दिखाएं।